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    Ashadh Ekadashi 2025: चातुर्मास में ये काम, जीवन में बदलाव महसूस होगा और पा सकते हैं सिद्धियां भी

    आषाढ़ एकादशी के बाद से चातुर्मास शुरु होते हैं। इस बार 6 जुलाई 2025 से शुरू हो रहे इस समय में जप-तप से सिद्धियां मिलती हैं और मन स्वस्थ होता है। चातुर्मास में बिस्तर त्यागकर जमीन पर सोएं ब्रह्म मुहूर्त में उठें ध्यान करें और एक बार भोजन करें। तेल मसालेदार चीजें दूध दही बैंगन हरी सब्जियां मांस-मदिरा का त्याग करें।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Thu, 03 Jul 2025 04:33 PM (IST)
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    यह समय पूजा-पाठ, जप-तप के द्वारा सिद्धियां प्राप्त करने और शरीर को स्वस्थ रखने का होता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ एकादशी के दिन से 4 महीने के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं। इस समय को चातुर्मास (Chaturmas 2025) के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी शुरुआत इस साल 6 जुलाई 2025 से हो रही है। 

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    यह समय पूजा-पाठ, जप-तप के द्वारा सिद्धियां प्राप्त करने, शरीर और मन को स्वस्थ करने का होता है। आइए जानते हैं इस समय पर आपको ऐसे क्या कार्य करने चाहिए, जिससे प्रभु की कृपा मिले। साथ ही आपको भी अपने जीवन में भी सकारात्मक बदलाव न सिर्फ दिखे, बल्कि महसूस भी हो। 

    इन चीजों का करें त्याग 

    चातुर्मास के दौरान बिस्तर को त्याग देना चाहिए। इन चार महीना में जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सोएं। सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठने की कोशिश करें। स्नान आदि करने के बाद में ध्यान और पूजन करें। 

    चातुर्मास में यदि संभव हो, तो सिर्फ एक ही बार भोजन करें। तेल घी से बनी हुई ज्यादा मसालेदार चीजें खाना बंद कर दें। इसके साथ ही दूध, दही, बैंगन, हरी पत्तेदार सब्जियां, मसालेदार खाना, मांस, मदिरा को त्याग दें। 

    ध्यान के लिए रोज निकालें समय 

    रोजाना कुछ समय ध्यान के लिए निकलें। इसके अलावा आप जिस भी देवी देवता को पूजते हैं, उनके नाम जाप करने की कोशिश करें। यदि आप किसी मंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं, तो उसे मंत्र के जाप को भी कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए किसी गुरु की शरण में जाएं और उनके मार्गदर्शन में ही यह करें। 

    यदि आप किसी प्रकार की सिद्धि पाना चाहते हैं, तो आपको किसी गुरु के आश्रय में जाना चाहिए। उनके मार्गदर्शन में ही 10 महाविद्याओं में से किसी एक महाविद्या की साधना करें। आप हनुमान साधना, दुर्गा साधना, वैष्णवी साधना आदि भी कर सकते हैं। 

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    चार महीने में दिखने लगेगा बदलाव

    चातुर्मास वह समय होता है, जिसमें आप अपने मन की शक्तियों को जागृत कर सकते हैं। इसके लिए योग और ध्यान अवश्य करें। जितना अधिक संभव हो मौन रहें और अपने आस-पास घट रही घटनाओं को देखें, समझें और उसे महसूस करें। प्रकृति आपसे स्वयं संवाद करने लगेगी। 

    यदि आप अपने खान-पान पर ध्यान देंगे, तो शारीरिक बदलवा को खुद देख भी पाएंगे और महसूस भी कर सकेंगे। इसके अलावा योग और ध्यान करने से आपको मानसिक शांति और सुकून भी महसूस होगा। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।