Chaitra Purnima 2025: इस तरह करें श्रीहरि और मां लक्ष्मी को प्रसन्न, जीवन में नहीं आएगा कोई संकट
अब जल्द ही चैत्र माह का समापन होने जा रहा है। इस माह की आखिरी तिथि पर चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2025) का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि चैत्र पूर्णिमा के दिन कैसे करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 12 अप्रैल को (Chaitra Purnima 2025 Date) को चैत्र पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और पूजा-अर्चना करने से रुके हुए काम जल्द पूरे होते हैं। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
अगर आप श्रीहरि और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चैत्र पूर्णिमा के दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें। माना जाता है कि प्रभु की आरती करने से साधक को पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और जीवन में कोई संकट नहीं आता है।
इन बातों विशेष ध्यान
- पूजा के दौरान काले कपड़े भूलकर भी न पहनें।
- किसी से कोई भी वाद-विवाद न करें।
- तामिसक चीजों का सेवन न करें।
- किसी के बारे में गलत न सोचें।
- मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- लोगो में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
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आरती श्री लक्ष्मी जी
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
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