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    Bada Mangal 2025: बड़े मंगल पर जरूर करें ये पाठ, भारी-से-भारी संकट होगा दूर

    ज्येष्ठ माह में आने वाले बड़े मंगल का काफी महत्व माना गया है। इस बार 13 मई से बड़े मंगल की शुरुआत हो रही है जो 10 जून तक रहने वाले हैं। इस दिन पर हनुमान जी का ध्यान व पूजा-अर्चना द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 06 May 2025 10:00 PM (IST)
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    Bada Mangal 2025 (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बड़ा मंगल (Bada Mangal 2025) या बुढ़वा मंगल के दिन खासतौर से हनुमान जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन अगर आप पूजा में संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ करते हैं, तो आपको बजरंगबली जी की कृपा से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। 

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    कब-कब है बड़ा मंगल

    • पहला बड़ा मंगल- 13 मई 2025
    • दूसरा बड़ा मंगल - 20 मई 2025
    • तीसरा बड़ा मंगल - 27 मई 2025
    • चौथा बड़ा मंगल - 3 जून 2025
    • पांचवां बड़ा मंगल - 10 जून 2025

    संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak)

    ॥ हनुमानाष्टक ॥

    बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

    तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

    ताहि सों त्रास भयो जग को,

    यह संकट काहु सों जात न टारो ।

    देवन आनि करी बिनती तब,

    छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।

    को नहीं जानत है जग में कपि,

    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

    बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

    जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

    चौंकि महामुनि साप दियो तब,

    चाहिए कौन बिचार बिचारो ।

    कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

    सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥

    अंगद के संग लेन गए सिय,

    खोज कपीस यह बैन उचारो ।

    जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

    बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।

    हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,

    लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    श्रीहनुमान जी की पूजा के दौरान यदि आप संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करते हैं, तो इससे आपको गंभीर संकटों से भी मुक्ति मिल सकती है। मंगलवार और शनिवार के साथ-साथ रोजाना भी इसका पाठ करना काफी लाभकारी माना गया है।

    रावण त्रास दई सिय को सब,

    राक्षसी सों कही सोक निवारो ।

    ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

    जाए महा रजनीचर मारो ।

    चाहत सीय असोक सों आगि सु,

    दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥

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    बान लग्यो उर लछिमन के तब,

    प्राण तजे सुत रावन मारो ।

    लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

    तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।

    आनि सजीवन हाथ दई तब,

    लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

    रावन युद्ध अजान कियो तब,

    नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

    श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

    मोह भयो यह संकट भारो I

    आनि खगेस तबै हनुमान जु,

    बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥

    बंधु समेत जबै अहिरावन,

    लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

    देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,

    देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।

    जाय सहाय भयो तब ही,

    अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥

    काज किये बड़ देवन के तुम,

    बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

    कौन सो संकट मोर गरीब को,

    जो तुमसे नहिं जात है टारो ।

    बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

    जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥

    ॥ दोहा ॥

    लाल देह लाली लसे,

    अरु धरि लाल लंगूर ।

    वज्र देह दानव दलन,

    जय जय जय कपि सूर ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।