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    Ashadha Shiv Pujan: दो ऋतुओं का संधिकाल है आषाढ़, भोलेनाथ की पूजा से मिलेगी आध्यात्मिक उन्नति और सुख

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 07:19 PM (IST)

    Ashadha Shiv Pujan आषाढ़ का महीना 12 जून से शुरू हो गया है और 10 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे और भगवान शिव सृष्टि का संचालन करेंगे। इस दौरान भोलेनाथ सपरिवार पृथ्वी पर आकर सृष्टि का संचालन करते हैं इसलिए उनकी पूजा और आराधना का महत्व है।

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    आषाढ़ का महीना 12 जून से शुरू होकर 10 जुलाई तक रहेगा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गर्मी के खत्म होने और बारिश के शुरु होने का संधिकाल है आषाढ़ का महीना। इसकी शुरुआत 12 जून से हो गई है, जो 10 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ शुक्ल एकादशी को 6 जुलाई के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद भगवान शिव सृष्टि को चलाने की जिम्मेदारी संभालेंगे। 

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    इसके बाद भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन आ जाएगा। कहते हैं कि इस दौरान भोलेनाथ सपरिवार पृथ्वी पर आकर सृष्टि का संचालन करते हैं। ऐसे में इस महीने में भोलेनाथ की पूजा और आराधना करने से शुभ फल मिलते हैं। 

    आषाढ़ मास में तीर्थ यात्रा, नदी स्नान, मंत्र जप, दान-पुण्य करना बहुत महत्व है। इस माह में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान आदि करने के बाद सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए। इसके बाद अपने इष्टदेव की पूजा के साथ भोलेनाथ का अभिषेक और पूजन करना चाहिए। 

    जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करें

    आषाढ़ में शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करना चाहिए। बेलपत्र के साथ ही भस्म, धतूरा आदि चढ़ाने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दौरान शिव पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने, शिव चालीसा का पाठ करने और भोलेनाथ की आरती करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ में शिव-आराधना करने से आत्मशुद्धि और मानसिक शांति मिलती है। इस तरह से भक्त अपने आराध्य के प्रिय महीने सावन में उनकी पूजा और गहन आराधना के लिए तैयार होते हैं। आप शिव पंचाक्षर स्रोत का जाप करके भी भोलेनाथ की भक्ति कर सकते हैं। 

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    शिव पंचाक्षर स्रोत 

    नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।

    मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

    मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय।।

    शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

    श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नमः शिवाय।। 

    वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय।

    चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नमः शिवाय।।

    यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।

    दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नमः शिवाय।। 

    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।

    शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।