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    Mangal Dosh: सोनम रघुवंशी के हनीमून कांड के बाद मंगल दोष पर हो रही है चर्चा, जानिए क्या होता है यह

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 01:59 PM (IST)

    Mangal Dosh इंदौर में हनीमून के दौरान नवविवाहित राजा रघुवंशी की हत्या के बाद मंगल दोष की चर्चा है। यह दोष तब बनता है जब मंगल ग्रह कुछ विशेष भावों में स्थित होता है जिससे विवाह में बाधा दांपत्य जीवन में तनाव या पति-पत्नी में असमानता आती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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    Mangal Dosh: जब मंगल कुछ विशेष भावों में स्थित होता है, तो जीवनसाथी के लिए घातक होता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर के नवविवाहित राजा की मेघालय में हनीमून (Honeymoon Turned to Homicide) के दौरान बर्बरता से हत्या के बाद मंगल दोष को लेकर चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि वह मांगलिक थी। अपने मंगल दोष को हटाने के लिए उसने यह कांड कर दिया। 

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    ऐसे में आपके भी मन में सवाल उठ रहे होंगे कि मंगल दोष क्या होता है? मांगलिक होना क्या होता है? इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में मांगलिक दोष को "कुज दोष" या "अंगारक दोष" कहा जाता है। 

    जब मंगल ग्रह कुछ विशेष भावों में स्थित होता है, तो जीवन साथी के लिए घातक सिद्ध होता है। इस दोष को विवाह में बाधा, दांपत्य जीवन में तनाव या पति-पत्नी में असमानता लाने वाला माना जाता है।

    मांगलिक दोष इन कारणों से बनता है

    मांगलिक दोष तब बनता है, जब मंगल ग्रह (Mars) जन्म कुंडली में निम्न भावों में स्थित होता है…

    • पहला भाव (व्यक्तित्व का भाव)
    • चौथा भाव (सुख सुविधा का भाव)
    • सातवां भाव (विवाह का भाव)
    • आठवां भाव (जीवनसाथी का सुख, दीर्घायु का भाव)
    • बारहवां भाव (बेडरूम सुख, वैवाहिक जीवन)

    यदि मंगल इन स्थानों में स्थित हो तो जातक को मांगलिक माना जाता है।

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    दोष कारणों से समाप्त या कमजोर होता है 

    1. वर और वधू दोनों मांगलिक हों। यदि दोनों में मांगलिक दोष है, तो दोष निरस्त माना जाता है और उनका विवाह शुभ होता है। दरअसल, दोनों एक दूसरे के मंगल की ऊर्जा का सामना करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होते हैं। मंगल जब सूर्य के साथ अस्त हो जाता है, तब भी मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है। 

    2. मंगल उच्च राशि में अर्थात कर्क लग्न की कुंडली में मकर राशि में हो, मेष लग्न में मंगल लग्न में होने पर या सिंह लग्न में वृश्चिक राशि में हो, अष्टम भाव में सिंह राशि में तथा द्वादश में वृश्चिक हो, तो दोष की प्रभाविता कम हो जाती है।

    3. मंगल शुभ ग्रहों से युत हो या सप्तम दृष्ट हो। अर्थात मंगल पर देवगुरु बृहस्पति, चंद्र या शुक्र की दृष्टि हो या वे साथ बैठे हो, तो मंगल दोष संतुलित हो जाता है।

    4. दोष नाशक योग यानी यदि कुंडली में गजकेसरी योग, बुद्धादित्य योग या कोई अन्य राजयोग हों और उनकी दृष्टि मंगल पर पड़ रही हो तो मंगल दोष प्रभावहीन हो सकता है।

    5. चंद्र कुंडली को देखे जाने पर दोष यदि नहीं दिखाता है, तो चंद्र कुंडली से मांगलिक योग नहीं बनता। तो भी यह दोष कम या नहीं के बराबर हो जाता है। अर्थात ऐसे अनेक कारण हैं, जिससे मंगल स्वतः समाप्त हो जाता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।