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    Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या के दिन करें इस चालीसा का पाठ, पितृ होंगे प्रसन्न

    Updated: Tue, 24 Jun 2025 09:38 AM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ अमावस्या का 25 जून (Ashadha Amavasya 2025 Date) को मनाई जाएगी। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन कामों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं।

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    Ashadha Amavasya 2025: कब है आषाढ़ अमावस्या (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya 2025) को शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का विधान है। साथ ही दान जरूर करें। स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मां गंगा के नामों का ध्यान कर गंगा चालीसा का पाठ करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस चालीसा का पाठ करने से साधक को मां गंगा की कृपा प्राप्त होती है और पितृ प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं गंगा चालीसा।

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    आषाढ़ अमावस्या 2025 डेट और टाइम


    आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत- 24 जून को सुबह 06 बजकर 59 मिनट पर
    आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का समापन- 25 जून को दोपहर 04 बजे


    गंगा चालीसा


    ॥ दोहा॥

    जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।

    जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

    ॥ चौपाई ॥

    जय जय जननी हरण अघ खानी।

    आनंद करनि गंग महारानी॥

    जय भगीरथी सुरसरि माता।

    कलिमल मूल दलनि विख्याता॥

    जय जय जहानु सुता अघ हनानी।

    भीष्म की माता जगा जननी॥

    धवल कमल दल मम तनु साजे।

    लखि शत शरद चंद्र छवि लाजे॥

    वाहन मकर विमल शुचि सोहै।

    अमिय कलश कर लखि मन मोहै॥

    जड़ित रत्न कंचन आभूषण।

    हिय मणि हर, हरणितम दूषण॥

    जग पावनि त्रय ताप नसावनि।

    तरल तरंग तंग मन भावनि॥

    जो गणपति अति पूज्य प्रधाना।

    तिहूं ते प्रथम गंगा स्नाना॥

     

    Ashadha Amavasya 2025

    (Pic Credit- Freepik)

    ब्रह्म कमंडल वासिनी देवी।

    श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

    साठि सहस्त्र सागर सुत तारयो।

    गंगा सागर तीरथ धरयो॥

    अगम तरंग उठ्यो मन भावन।

    लखि तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

    तीरथ राज प्रयाग अक्षैवट।

    धरयौ मातु पुनि काशी करवट॥

    धनि धनि सुरसरि स्वर्ग की सीढी।

    तारणि अमित पितु पद पिढी॥

    भागीरथ तप कियो अपारा।

     

    यह भी पढ़ें: Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या पर जरूर करें पितरों का तर्पण, नोट करें समय और विधि

     

    दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

    जब जग जननी चल्यो हहराई।

    शम्भु जाटा महं रह्यो समाई॥

    वर्ष पर्यंत गंग महारानी।

    रहीं शम्भू के जटा भुलानी॥

    पुनि भागीरथी शंभुहिं ध्यायो।

    तब इक बूंद जटा से पायो॥

    ताते मातु भइ त्रय धारा।

    मृत्यु लोक, नाभ, अरु पातारा॥

    गईं पाताल प्रभावति नामा।

    मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

    मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनि।

    कलिमल हरणि अगम जग पावनि॥

    धनि मइया तब महिमा भारी।

    धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

    मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी।

    धनि सुरसरित सकल भयनासिनी॥

    पान करत निर्मल गंगा जल।

    पावत मन इच्छित अनंत फल॥

    पूर्व जन्म पुण्य जब जागत।

    तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

    जई पगु सुरसरी हेतु उठावही।

    तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

    महा पतित जिन काहू न तारे।

    तिन तारे इक नाम तिहारे॥

    शत योजनहू से जो ध्यावहिं।

    निशचाई विष्णु लोक पद पावहिं॥

    नाम भजत अगणित अघ नाशै।

    विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशै॥

    जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना।

    धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

    तब गुण गुणन करत दुख भाजत।

    गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

    गंगाहि नेम सहित नित ध्यावत।

    दुर्जनहुँ सज्जन पद पावत॥

    बुद्दिहिन विद्या बल पावै।

    रोगी रोग मुक्त ह्वै जावै॥

    गंगा गंगा जो नर कहहीं।

    भूखे नंगे कबहु न रहहि॥

    निकसत ही मुख गंगा माई।

    श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

    महाँ अधिन अधमन कहँ तारें।

    भए नर्क के बंद किवारें॥

    जो नर जपै गंग शत नामा।

    सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

    सब सुख भोग परम पद पावहिं।

    आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

    धनि मइया सुरसरि सुख दैनी।

    धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

    कंकरा ग्राम ऋषि दुर्वासा।

    सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

    जो यह पढ़े गंगा चालीसा।

    मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

    ॥ दोहा ॥

    नित नव सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।

    अंत समय सुरपुर बसै। सादर बैठी विमान॥

    संवत भुज नभ दिशि । राम जन्म दिन चैत्र।

    पूरण चालीसा कियो। हरी भक्तन हित नैत्र॥

     

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