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    क्यों शुभ नहीं माना जाता बनारस से गंगाजल लाना, जानिए इसके पीछे का रहस्य

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 03:00 PM (IST)

    गंगाजल, हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है। गंगाजल का उपयोग पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में होता है, इससे उस कार्य की पवित्रता बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बनारस से गंगाजल क्यों नहीं लाया जाता, इसके पीछे एक बड़ी ही खास वजह मिलती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।

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    मोक्ष की नगरी बनारस (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गंगा के किनारे बसा, बनारस एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जो प्राचीन होने के साथ-साथ आध्यात्मिक दृष्टि से भी काफी महत्व रखता है। साथ ही इस नगरी का संबंध भगवान शिव से माना गया है। आमतौर पर हरिद्वार और प्रयागराज से गंगाजल लाना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं बनारस से गंगाजल लाने की मनाही होती है, जिसके पीछे एक खास कारण माना गया है। 

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    इसलिए नहीं लाया जाता गंगाजल

    बनारस, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, मोक्ष की नगरी कहलाती है। बनारस में मौजूद मणिकर्णिका घाट पर रोजाना कई लोगों का दाह संस्कार होता है और उनकी राख को गंगा में प्रवाहित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे मृतक जन्म-मरण के च्रक से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। बनारस से गंगाजल लाने की मनाही है, क्योंकि यह माना जाता है कि बनारस से गंगाजल लाने पर अनजाने में मृत आत्माओं के अवशेष या राख जल के साथ आ सकते हैं, जो उनकी मुक्ति में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

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    इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि इस स्थान के गंगाजल में कई जीवों के स्पर्श होते हैं, जो मोक्ष के लिए भटक रहे होते हैं। साथ ही यहां पर तांत्रिक अनुष्ठान और मोक्ष कर्म भी किए जाते हैं। ऐसे में इस स्थान से गंगाजल को घर लाने से आपको लाभ के स्थान पर नकारात्मक परिणाम का सामना करना पड़ सकता है।

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    (Picture Credit: Freepik)

    यह भी कहती हैं मन्यताएं

    बनारस को लेकर यह कहा जाता है कि अगर वहां से गंगाजल या मिट्टी को अपने साथ लाया जाए, तो इससे आपको पाप लग सकता है। जिसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यहां की मिट्टी और जल लाने से आप इसमें मौजूद जीवों को आप मोक्ष से वंचित कर देते हैं, जिस कारण आपको पाप का सामना करना पड़ सकता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।