Surya Mandir: वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है ये सूर्य मंदिर, खरमास में और भी बढ़ जाती है मान्यता
देश में कम ही सूर्य मंदिर हैं जिसमें कोणार्क का सूर्य मंदिर सबसे अधिक प्रसिद्ध है। लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदोश में स्थित एक सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो 9वीं शताब्दी की मंदिर वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण भी है। यह मंदिर लगभग 1 हजार साल पुराना बताया जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके विषय में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के मड़खेड़ा गांव में एक प्राचीन सूर्य मंदिर (Surya Mandir) की बात करने जा रहे हैं। इस गांव को मरखेरा भी कहा जाता है, जिसका नाम मंदिर के नाम पर ही है। हालांकि इस मंदिर की प्रसिद्धि केवल आस-पास के इलाकों तक ही सीमित है, लेकिन इसकी वास्तुकला इसे किसी बड़े और प्रमुख मंदिर की तरह ही महत्वपूर्ण बनाती है।
ये मूर्तियां हैं स्थापित
इस मंदिर में लघु मंडप है, जो चार स्तंभों पर खड़ा है। गर्भ गृह में सूर्य देव की कमल के आसन पर खड़े हुए प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के द्वार पर अपने सप्त अश्वरथारुढ भगवान सूर्य विराजमान हैं और पूर्व कक्ष के द्वार पर गंगा-यमुना की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा नवग्रह भी दिखाई देते हैं।
इसके साथ ही प्रतिमाओं की दृष्टि से यह मंदिर काफी समृद्ध है। इसमे कुबेर, दिक्पाल, ब्रह्माणी, बारह अवतार, नृसिंह अवतार, स्थानक गणपति, निर्मांसा चामुंडा, कीर्तिमुख, अप्सराओं के साथ-साथ गंधर्व इत्यादि की भी मूर्ति स्थापित हैं। इस मंदिर के पास एक प्राचीन कुंआ भी है।
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किसने करवाया निर्माण
यह पूर्वमुखी सूर्य मंदिर एक चबूतरे पर बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतार के दर्शन किए जा सकते हैं। बुंदेलखंड में वाकाटकों का शासन भी रहा था और उन्होंने ही मरखेड़ा के सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
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खरमास में खास है सूर्य पूजा
साल 2024 के दूसरे खरमास की शुरुआत रविवार, 15 दिसंबर से हो चुकी है। इस अवधि में मांगलिक व शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है, लेकिन इस समय में सूर्य पूजा से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। इस समय में सूर्य मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। आप सर्य देव की कृपा प्राप्ति के लिए खरमास में सूर्य चालीसा और उनके मंत्रों का भी जप कर सकते हैं। सूर्य मंत्र कुछ इस प्रकार हैं -
ॐ घृणि सूर्याय नम:।
बीज मंत्र - ऊँ ह्राँ ह्रीँ ह्रौँ स: सूर्याय नम:।
सूर्य गायत्री मंत्र - ॐ आदित्याय विद्महे, प्रभाकराय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्॥
प्रातः सूर्य स्मरण मन्त्र-
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्॥
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