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    Shri Yamunaji Dharmraj Temple: यहां स्थित है भाई-बहन का मंदिर, यमराज जी से जुड़ी है कथा

    Updated: Tue, 11 Mar 2025 02:26 PM (IST)

    भाई-बहन का रिश्ता काफी पवित्र होता है। हिंदू धर्म में इस रिश्ते को एक खास महत्व दिया गया है जिसका पता आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस पवित्र रिश्ते से संबंधित पर्व जैसे भाई दूज और रक्षाबंधन भी मनाए जाते हैं। लेकिन क्या आप इकलौते ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं जो भाई-बहन को समर्पित है।

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    Shri Yamunaji Dharmraj Temple भाई-बहन का मंदिर।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देश में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जो अपनी भव्यता या फिर मान्यताओं को लेकर दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं। आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भाई-बहन को समर्पित है। इस मंदिर की कथा यमराज और यमुना जी से जुड़ी हुई है, जो भगवान सूर्य के पुत्री और पुत्र हैं।

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    यहां स्थित है मंदिर

    उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में विश्राम घाट के समीप स्थित भाई-बहन का मंदिर असल में यमराज और उनकी बहन यमुना (Yam Yamuna Temple) को समर्पित है, जिसे श्री यमुना धर्मराज मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भी है, जो मथुरा के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर द्वारकाधीश मंदिर के पास है।

    मंदिर की विशेषताएं

    इस मंदिर में काले पत्थर से बनी मां यमुना और यमराज जी की मूर्ति स्थापित है। जहां मां चतुर्भुज रूप में विद्यमान हैं वहीं यमराज जी प्रसन्न एवं आशीर्वाद देती हुई मुद्रा में नजर आते हैं। यमुना जी के एक हाथ में भोजन की थाली और दूसरे में कमल का फूल है। वहीं तीसरा हाथ टीका लगाती हुई मुद्रा में और चौथा हाथ आशीर्वाद देती हुए मुद्रा में है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको छोटे-से चांदी से बने द्वार से प्रवेश करना पड़ता है।

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    मंदिर से जुड़ी मान्यता

    इस मंदिर को लेकर मान्यता प्रचलित है कि भैया दूज के अवसर जो भाई-बहन  यमुना नदी में स्नान करने के बाद इस मंदिर के दर्शन करते हैं  उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है। ऐसे में भाई दूज और रक्षाबंधन जैसे पर्वों पर यमराज और यमुना जी का आशीर्वाद लेने के लिए यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

    यम-यमुना से जुड़ी कहानी

    प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार भाई दूज के दिन यमुना ने अपने भाई यम को भोजन पर आमंत्रित किया। यम ने इस निमंत्रण को स्वीकार किया और बहन के आदर-सत्कार से काफी प्रसन्न हुए। तब उन्होंने यमुना को एक वरदान मांगने को कहा। तब यमुना जी ने यह वरदान मांगा कि जो भी भाई-बहन भाई दूज के अवसर पर यमुना नदी में स्नान करें वह यमपुरी न जाएं। यही कारण है कि आज भी इस मंदिर की इतनी अधिक मान्यता बनी हुई है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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