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    Bharat Milap: वनवास के दौरान यहां हुआ था श्रीराम और भरत जी का मिलाप, आज भी मौजूद हैं साक्ष्य

    Updated: Sat, 08 Mar 2025 02:11 PM (IST)

    रामायण में मुख्य रूप से प्रभु श्रीराम के चरित्र का वर्णन मिलता है जो भगवान विष्णु के ही अवतार माने गए हैं। रामायण से जुड़े कई प्रसंग व्यक्ति को शिक्षा देने के साथ-साथ भावुक भी कर देते हैं। ऐसा ही प्रसंग भरत और राम जी के मिलाप का भी है। ऐसे में चलिए जानते हैं उस स्थान के बारे में जहां प्रभु श्रीराम और भरत जी का मिलाप हुआ था।

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    Bharat Milap temple यहां हुआ था राम जी और भरत का मिलाप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण के उत्तरकाण्ड में भरत मिलाप का प्रसंग मिलता है। इस प्रसंग को पढ़ने, सुनने या फिर देखने के बाद ही व्यक्ति का मन करुणा से भर उठता है।

    चित्रकूट में स्थित उस स्थान का महत्व आज भी उतना ही बना हुआ है, जितना कि उस समय में था जब प्रभु श्रीराम और भरत जी का मिलाप हुआ था। इस स्थान पर आज एक मंदिर भी स्थापित है, जिसे भरत मिलाप मंदिर के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको उसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    क्यों खास है ये मंदिर

    मध्य प्रदेश के चित्रकूट में भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर भरत मिलाप मंदिर स्थित है। रामायण में वर्णित कथा के अनुसार, जब भगवान राम वनवास को गए, तो इस बात का पता चलते ही भरत भी उन्हें मानने के लिए चित्रकूट आए। उन्होंने भगवान राम से वापिस अयोध्या चलने की प्रार्थना की, लेकिन अपने वचन को पूरा करने के लिए भरत को स्नेह के साथ वापिस भेज दिया था।

    दोनों भाइयों के मिलन का यह दृश्य इतना भावपूर्ण था कि आसपास स्थित लोगों के साथ-साथ प्रकृति भी भावुक हो गई और आस-पास के पत्थर भी पिघल गए। इसका वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में भी किया है -

    द्रवहिं बचन सुनि कुलिस पषाना। पुरजन पेमु न जाइ बखाना॥

    बीच बास करि जमुनहिं आए। निरखि नीरु लोचन जल छाए॥4॥

    राम जी के प्रति भरत का प्रेम

    इस मंदिर में आज भी राम जी और भरत जी के पैरों के निशान एक शिला पर देखे जा सकते हैं। राम-भरत मिलाप मंदिर के साथ-साथ कौशल्या-सीता मिलन और लक्ष्मण-शत्रुघन मिलन मंदिर भई स्थापित है। अंत में जब भरत राम जी को वापिस अयोध्या चलने के लिए मनाने में असफल रहे, तो वह उनकी चरण पादुका को ही अपने साथ ले गए और उन्हीं पादुका को सिंहासन पर विराजमान कर अयोध्या का राज चलाया।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    इसके बिना अधूरी है यात्रा

    भरत मिलाप मंदिर से कुछ दूरी पर एक विशाल कुआं भी मौजूद है, जिसे भरत कूप के नाम से जाना जाता है। चित्रकूट की तीर्थयात्रा इस पवित्र पूजा स्थल की यात्रा के बिना अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भरत जी, भगवान राम का एक राजा के रूप में अभिषेक करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सभी पवित्र तीर्थों के जल को एकत्रित किया। बाद में ऋषि अत्रि की सलाह मानकर उन्होंने जल को इस कुंए में डाल दिया था। इसलिए इसे भरत कूप के नाम से जाना जाता है।

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    Source: - 

    • chitrakoot tourist place - https://chitrakoot.nic.in/hi/tourist-place/%E0%A4%AD%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A5%82%E0%A4%AA/

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।