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    भारत का रहस्यमयी गांव: जहां रची गई थी महाभारत, भगवान गणेश ने यहीं दिया था सरस्वती नदी को श्राप

    Updated: Wed, 25 Jun 2025 08:51 PM (IST)

    व्यास गुफा सरस्वती नदी के तट पर बसा है। वहीं, तीन किलोमीटर की दूरी पर बद्रीनाथ है। माणा गांव न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यटन के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। बड़ी संख्या में पर्यटक माणा गांव घूमने आते हैं। यह जगह स्वच्छ वातावरण और शुद्ध हवा के लिए जाना जाता है।

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    Mana Village: माणा गांव का इतिहास और धार्मिक महत्व (uttarakhandtourism.gov.in)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड को देवी की भूमि कहा जाता है। यह भूमि धार्मिक स्थल के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इनमें चारधाम तीर्थ स्थल केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री प्रमुख हैं। इसके अलावा, कई अन्य पतित पावन तीर्थ स्थल हैं। हर की पौड़ी, हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थल अपनी धार्मिक विशेषता के लिए जाना जाता है। गंगा का उद्गम भी उत्तराखंड में हुआ है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर मौसम में उत्तराखंड की यात्रा करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव भी है, जिसका महाभारत से गहरा नाता है? इसे भारत का पहला गावं भी कहा जाता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    कहां हैं माणा गांव?

    उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में माणा गांव स्थित है। यह गांव तिब्बत से केवल 26 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के समीप है। आसान शब्दों में कहें तो नेशनल हाईवे 7 माणा गांव से होकर गुजरता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3219 मीटर है। इस गांव में सरस्वती नदी भी बहती है। कहते हैं कि अलकनंदा और सरस्वती का संगम भी माणा गांव में हुआ है।

    कहां रची गई है महाभारत?

    माणा गांव में व्यास पोथी नामक स्थान है। धार्मिक मत है कि व्यास पोथी यानी व्यास गुफा में वेदव्यास जी रहते थे। इस गुफा में भगवान गणेश ने महाभारत की रचना की थी। बद्रीनाथ से व्यास पोथी की दूरी महज 3 किलोमीटर है।

    कब और क्यों दिया था श्राप?

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश महाभारत की रचना के दौरान सरस्वती नदी के तेज बहाव से विचलित हो रहे थे। उस समय उन्होंने देवी मां सरस्वती को बहाव को कम करने या आवाज को धीमा करने का अनुरोध किया। हालांकि, मां सरस्वती ने उनकी एक न सुनी। उस समय भगवान गणेश रुष्ट हो गए और सरस्वती नदी को श्राप दे दिया कि आप उद्गम स्थल पर ही विलुप्त होकर पाताल पहुंच जाएंगी। उनके श्राप के चलते सरस्वती नदी माणा गांव से सीधे पाताल जाती है। हालांकि, रहस्यमयी तरीके से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निकलती है। इसी स्थान पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है।

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    Source: uttarakhandtourism.gov.in

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।