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    Ravan Story: किसने किया था रावण का दाह संस्कार, विभीषण ने क्यों किया मना

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 03:01 PM (IST)

    माता सीता का हरण करने के कारण भगवान श्री राम और रावण के बीच एक भीषण युद्ध हुआ। यह युद्ध लगभग 10 दिनों तक चला और दसवें दिन रावण की प्रभु श्रीराम के हाथों मृत्यु हो गई। छोटे भाई विभीषण ने रावण का दाह संस्कार करने से इंकार कर दिया था चलिए जानते हैं कि आगे क्या हुआ।

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    Ravan Story रावण के अंतिम संस्कार की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दशानन रावण की गिनती इतिहास के शक्तिशाली योद्धाओं और प्रकांड विद्वान में होती है। लेकिन इसके बाद भी उसे एक बुरे अंत का सामना करना पड़ा था, जिसका कारण रावण के बुरे कर्म थे। चलिए जानते हैं कि आखिरी किसने रावण का अंतिम संस्कार किया था।  

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    कैसे हुई रावण की मृत्यु

    युद्ध में रावण को पराजित करना एक कठिन लक्ष्य था, क्योंकि रावण के पास दिव्य शक्तियां और अस्त्र-शस्त्र थे। युद्ध के आखिरी दिन यानी दसवें दिन भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया और रावण की नाभि पर निशाना साधा।

    इस प्रहार से राणव जमीन पर गिरा पड़ा और समझ गया कि उसकी युद्ध में पराजय हुई है और यह उसका आखिरी समय है। अंत में रावण के मुंह से भगवान राम का ही नाम निकला, जिन्हें वह अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था।

    क्यों किया मना

    रावण का दाह संस्कार उसके छोटे भाई विभीषण ने किया था, क्योंकि वही सभी भाईयों में शेष बचे थे। लेकिन पहले विभीषण ने अपने बड़े भाई रावण का दाह संस्कार करने से मना कर दिया था। क्योंकि विभीषण का कहना था कि रावण एक पापी और दुराचारी था। ऐसे में वह अपने हाथ से रावण का अंतिम संस्कार करने के लिए राजी नहीं था।

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    भगवान राम ने समझाई ये बात

    भगवान राम ने विभीषण को समझाया कि रावण एक प्रकांड पंडित था। साथ ही यह भी कहा कि मृत्यु के साथ ही पाप भी नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में रावण का अंतिम संस्कार करने में कोई बुराई नहीं है। भगवान राम विभीषण से कहते हैं कि अब तुम्हें अपने भाई को क्षमा कर देना चाहिए और सम्मान पूर्वक रावण का दाह संस्कार करना चाहिए। तब राम जी के कहने पर विभीषण ने ऐसा ही किया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।