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    Harsiddhi Temple: यहां गिरी थी मां सती की कोहनी, दर्शन करने से भक्त की मुरादें होती हैं पूरी

    Updated: Sun, 22 Jun 2025 11:00 AM (IST)

    देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन विस्तार से किया गया है। यह शक्तिपीठ देशभर में अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। वहीं उज्जैन में मां हरिसिद्धि (Harsiddhi Temple) शक्तिपीठ है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस जगह पर मां सती की कोहनी गिरी थी। चलिए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।

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    Harsiddhi Temple: हर‍सिद्धि देवी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मां सती के 51 शक्तिपीठ हैं, जिनका विशेष महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की मदद से मां सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए। ऐसा माना जाता है कि जहां-जहां माता सती के अंग और आभूषण गिरे उन स्थानों को शक्तिपीठ का नाम दिया गया। इनमें से एक शक्तिपीठ उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर में हरिसिद्धि देवी के रूप में पूजा-अर्चना होती है। मंदिर के गर्भगृह में हरसिद्धि देवी (Harsiddhi Temple significance) के अलावा महासरस्वती और महालक्ष्मी की प्रतिमा भी विराजमान है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में हरसिद्धि शक्तिपीठ (Where Maa Sati Elbow Fell) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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    कहां गिरी थी मां हरसिद्धि की कोहनी

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, उज्जैन के रुद्रसागर तालाब के पश्चिमी तट पर मां सती की कोहनी गिरी थी, जिसे मां हरसिद्धि शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर में महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्ति गहरे सिंदूरी रंग में रंगी हुई है। इसके अलावा श्री यंत्र भी मंदिर में स्थापित है।

    कैसी है मंदिर की संरचना

    हरसिद्धि मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की तरफ है। गेट के चारों तरफ गुंबददार संरचनाएं बनाई गई हैं। इसके अलावा एक कुआं भी है, जिसके अंदर एक स्तंभ भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्तंभ दीप जलाते समय बोली गई मनोकामना मां हरसिद्धि पूरी करती हैं।

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    मंदिर का राजा विक्रमादित्य से गहरा नाता

    राजा विक्रमादित्य (Harsiddhi Temple history) से हरसिद्धि मंदिर का नाता गहरा माना जाता है। जिस स्थान पर यह मंदिर है। उस जगह को विक्रमादित्य की तपोभूमि माना जाता है। हर 12वें वर्ष में राजा विक्रमादित्य ने अपने सिर की बलि थी। उन्होंने अपने सिर की बलि 11 बार दी थी, लेकिन हर बार हरसिद्धि देवी के आशीर्वाद से उन्हें एक नया सिर प्राप्त हो जाता था। एक बार उन्होंने बलि दी, तो उनका सिर वापस नहीं आया, जिसकी वजह से उनके शासन का अंत माना जाता है।

    इन चीजों का चढ़ता है प्रसाद

    मंदिर में भक्त मां हरसिद्धि को लड्डू, इलायची और बर्फी का भोग अर्पित करते हैं, जिसके बाद लोगों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।