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    Karni Mata Temple: इस मंदिर में बटता है चूहों का जूठा प्रसाद, दर्शन करने से मुरादें होती हैं पूरी

    Updated: Wed, 21 May 2025 12:17 PM (IST)

    राजस्थान में ऐसे कई मंदिर हैं जो किसी प्रमुख मान्यता के कारण प्रसिद्ध हैं। इनमें करणी माता मंदिर (Karni Mata Temple) भी शामिल है। यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर में स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर में चूहों का जूठा प्रसाद श्रद्धालुओं में बाटा जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

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    Karni Mata Mandir: करणी माता मंदिर से जुड़े रहस्य

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है, जहां चूहों का जूठा प्रसाद श्रद्धालुओं में बाटा जाता है, जिसे माता करणी मंदिर (Karni Mata Temple) के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में अधिक संख्या में चूहे देखने को मिलते हैं। देवी करणी माता को समर्पित यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर में है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर की अनोखी परंपरा के बारे में।  

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    मंदिर में चूहे का दिखना होता है शुभ

    ऐसे बताया जाता है कि इस मंदिर में सफेद चूहे पाए जाते हैं, जिनका दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चूहे के दर्शन करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

    बाटा जाता है चूहों का जूठा प्रसाद

    इस मंदिर में माता करणी के भोग को चूहे भोग लगाते हैं, जिसके बाद भक्तों में चूहों के जूठे प्रसाद को बाटा जाता है। इस मंदिर में चूहे खुलेआम घूमते हैं। यह एक ऐसा मंदिर है, जहां खुलेआम चूहे घूमते हैं। जब किसी भक्त की कोई मनोकामना पूरी हो जाती है, तो तब वह इस मंदिर में प्रसाद बनाता है और लोगों में वितरण किया जाता है। इस मंदिर में देश-विदेश से भक्त आते हैं। मंदिर को चूहों का मंदिर और चूहों वाली माता के नाम से भी जाना जाता है।  

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    क्या है करणी माता मंदिर का इतिहास (History of Karni Mata Temple)

    ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजपूत राजाओं के द्वारा 15वीं शताब्दी में हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीकानेर के राजघराने की कुलदेवी को करणी माता को माना जाता है। यही पर माता करणी जी ने नक्षत्र विद्या प्राप्त की थी।

    संगमरमर से बना है मंदिर

    मंदिर का परिक्रमा मार्ग और बाहरी दीवारें लाल पत्थर से बनी हुई हैं और मुख्य द्वार संगमरमर के पत्थर बना हुआ है। इस मंदिर में सुंदर नक्काशी का काम किया गया है।

    लगता है मेला

    नवरात्र के शुभ अवसर पर मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें अधिक संख्या में भक्त शामिल होते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है। 

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