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    Amarnath Yatra: अमरनाथ गुफा में दिखाई देने वाले कबूतर क्यों कहलाते हैं अमर? जानें इसका रहस्य

    Updated: Mon, 15 Apr 2024 03:42 PM (IST)

    अमरनाथ तीर्थ (Amarnath Yatra) को सनातन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ माना जाता है। अमरनाथ यात्रा के लिए शिव भक्त पूरे वर्ष इंतजार करते हैं। बताया जाता है ...और पढ़ें

    Amarnath Yatra: अमरनाथ गुफा में दिखाई देने वाले कबूतर क्यों कहलाते हैं अमर? जानें इसका रहस्य
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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Amarnath Yatra: हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल है अमरनाथ धाम। यहां हर साल अधिक संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। इस बार बाबा अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू होगी और जिसका समापन 19 अगस्त को होगा। मान्यता है कि अमरनाथ धाम में शिव विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि अमरनाथ की गुफा में देवों के देव महादेव ने मां पार्वती को अमर होने के रहस्य के बारे में बताया था। बताया जाता है कि अमरनाथ की गुफा में कबूतरों का एक जोड़ा है, जो अमर हो चुका है। कबूतर के इस जोड़े के दर्शन करने से साधक अपने आपको भाग्यवान मानते हैं। आइए जानते हैं गुफा में मौजूद कबूतर के जोड़े का रहस्य।

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    अमरनाथ गुफा का रहस्य

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार महादेव अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को मोक्ष का रास्ता दिखाया था। इस दौरान भगवान और माता पार्वती के बीच एक विषय पर चर्चा हुई। कथा के अनुसार,  प्राचीन समय में भगवान शिव से माता पार्वती ने मोक्ष का मार्ग जानने के लिए इच्छा जाहिर की।

    इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अमृतज्ञान सुनाया। इसी दौरान गुफा में कबूतर का जोड़ा मौजूद था। कबूतर के जोड़े ने अमृतज्ञान की कथा सुन ली। मान्यता है कि भगवान शिव के द्वारा कथा को सुनने के बाद कबूतर को जोड़ा अमर हो गया और वर्तमान में भी कबूतर को जोड़ा गुफा में मौजूद है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस कबूतर के जोड़े के दर्शन करना शुभ माना जाता जाता है।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'