Amarnath Yatra 2025: कौन थे बाबा बर्फानी के पहले भक्त, जिन्होंने खोला था अमरनाथ गुफा का रहस्य
हर साल बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए लोग अमरनाथ की कठिन यात्रा करते हैं। इस साल यात्रा की शुरुआत 03 जुलाई से हो रही है जो शनिवार 09 अगस्त तक चलने वाली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले कब और किसने अमरनाथ की गुफा में बनने वाले प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन (Baba Barfani first darshan) किए थे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमरनाथ की यात्रा (Amarnath Yatra 2025) के रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल से शुरू हो चुके हैं। ऐसे में बाबा बर्फानी के दर्शन का इंतजार जल्द ही खत्म होने जा रहा है। अमरनाथ की कठिन यात्रा के बाद बाबा बर्फानी जिन्हें अमरेश्वर नाम से भी जाना जाता है, के दर्शन से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
इसलिए खास है यह यात्रा (Amarnath Yatra 2025 significance)
अमरनाथ की गुफा का इतना महत्व इसलिए माना गया है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। मान्यता है कि जो भी भक्त, श्रद्धा के साथ अमरनाथ की यात्रा (Amarnath Yatra 2025) कर अमरेश्वर शिवलिंग के दर्शन करता है, उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
धार्मिक ग्रंथों जैसे भृगु संहिता, नीलमत पुराण आदि में भी अमरनाथ यात्रा के महत्व के बारे में बताया गया है। शास्त्रों व पुराणों में कहा गया है कि अमरनाथ यात्रा से साधक को काशी के दर्शन का दस गुना, प्रयाग के दर्शन से सौ गुना और नैमिषारण्य के दर्शन से हजार गुना ज्यादा पुण्य मिलता है।
इन्होंने किए थे सबसे पहले दर्शन
भृगु संहिता में इस बात का वर्णन मिलता है कि सबसे पहले अमरनाथ गुफा के दर्शन महर्षि भृगु ने किए थे। कथा के अनुसार, जब एक बार कश्मीर घाटी पूरी जलमग्न हो गई थी, तब महर्षि कश्यप ने नदियों और नालों के माध्यम से पानी को बाहर निकाल दिया था।
जब वह एकांतवास की खोज करने लगे, तो उन्हें अमरनाथ की गुफा दिखाई दी, जिसमें उन्हें बाबा अमरनाथ के दर्शन हुए। इस तरह महर्षि भृगु बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले पहले व्यक्ति माने जाते हैं।
यह भी पढ़ें - Amarnath Yatra 2025: कब शुरू होगी अमरनाथ यात्रा? यहां जानिए इसका धार्मिक महत्व
ये कथा भी है प्रचलित
प्रचलित लोक मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा के दर्शन सबसे पहले लगभग 15वीं शताब्दी बूटा मलिक नामक एक चरवाहे ने किए थे। कथा के मुताबिक चरवाहे को एक संत ने कोयले से भरा एक थैला दिया था। जब वह चरवाहा उस थैले को वापिस लौटाने गया, तो उसमें कोयले की जगह सोने के सिक्के निकले, जिसे देखकर चरवाहा हैरान रह गया।
जब चरवाहा संत को ढूंढने गया, तब उसे अमरनाथ की गुफा मिली, जिसमें बर्फ के शिवलिंग विराजमान थे। माना जाता है कि तभी से अमरनाथ की यात्रा शुरू हुई। वहीं 'राजतरंगिणी' पुस्तक में भी अमरेश्वर शिवलिंग का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार लोगों का यह मानना है कि रानी सूर्यमती ने 11वीं शताब्दी में अमरनाथ मंदिर को त्रिशूल और पवित्र प्रतीक आदि भेंट किए थे।
यह भी पढ़ें - Amarnath Yatra 2025: अमरनाथ यात्रा का शुरू हुआ रजिस्ट्रेशन, जाने से पहले जरूर कर लें ये तैयारी
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।