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    Angarak Dosh: कुंडली में कब और कैसे बनता है अंगारक दोष? इन उपायों से मिलेगी राहत

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 06:30 PM (IST)

    मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है, जिनकी पूजा से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है और शनिदेव प्रसन्न होते हैं। लेख में अंगारक दोष के बारे में बताया गया है, जो मंगल के साथ राहु या केतु की युति से बनता है। यह दोष व्यक्ति को क्रोधी, कठोर वाणी वाला बनाता है और जीवन में परेशानियां लाता है। 

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    अंगारक दोष को कैसे दूर करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन राम परिवार संग हनुमान जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है। साथ ही व्यक्ति विशेष पर हनुमान जी की कृपा बरसती है।

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    ज्योतिष कुंडली में मंगल मजबूत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंडली में कब और कैसे अंगारक दोष लगता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

    अंगारक दोष कैसे लगता है?

    mangal dev

    ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में कई दोष मायावी ग्रह राहु और केतु के चलते लगता है। राहु और केतु, सूर्य देव, चंद्र देव और देवताओं के गुरु बृहस्पति देव को शत्रु मानते हैं। सूर्य, मंगल, चंद्रमा और गुरु के साथ राहु या केतु की युति बनने पर कई दोष लगते हैं।

    ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है। मंगल के साथ राहु और केतु की युति होने पर कुंडली में अंगारक दोष बनता है। इस दोष से पीड़ित जातक के विचारों में असमानता होती है। जातक बहुत जल्द गुस्से में आ जाता है। वाणी से कठोर और कटु हो जाता है। इसके चलते जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

    अंगारक दोष से पीड़ित जातक को जीवन के सभी क्षेत्रों में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। कई अवसर पर गुस्से में फैसले लेने से भी बने काम बिगड़ जाते हैं। इसके लिए मायावी ग्रह राहु को जिम्मेवार माना जाता है।

    अंगारक दोष के उपाय (Mangal Dosh Ke Upay)

    अंगारक दोष से पीड़ित जातक को ज्योतिष की सलाह लेनी चाहिए। वहीं, इसका निवारण अनिवार्य है। इसके लिए अंगारक दोष का निवारण अवश्य कराएं। वहीं, इसके प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही रोजाना हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। लाल रंग की चीजों का दान करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।