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    Mangal Antardasha: कितने समय तक चलती है मंगल की अंतर्दशा और कैसे करें ऊर्जा के कारक को प्रसन्न?

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 09:00 PM (IST)

    मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत रखा जाता है। मंगलवार का व्रत (Mangal Antardasha) करने से साधक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही हनुमान जी की कृपा से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

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    Mangal Dev Upay: मंगल देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में मंगल देव को ऊर्जा का कारक माना जाता है। मंगल देव मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं। वहीं, मकर राशि के जातकों पर मंगल देव की विशेष कृपा रहती है। कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होने से जातक को करियर में विशेष सफलता मिलती है।

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    mangal dev

    ज्योतिष मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि मंगल की अंतर्दशा कितने समय तक चलती है और कैसे मंगल देव को प्रसन्न करें? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

    मंगल की अंतर्दशा

    ज्योतिषियों की मानें तो मंगल की महादशा 7 साल तक रहती है। इस दौरान शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चलती है। इनमें सबसे पहले मंगल की अंतर्दशा चलती है। मंगल की महादशा में मंगल की अंतर्दशा 5 महीने तक चलती है। इसके बाद क्रमश: राहु, गुरु और शनि की अंतर्दशा चलती है। शुभ और मित्र ग्रहों की अंतर्दशा में जातक को शुभ फल मिलता है। वहीं, अशुभ और शुत्र ग्रहों के साथ अशुभ फल देते हैं। ज्योतष मायावी ग्रह राहु और केतु की अंतर्दशा में विशेष सावधान रहने की सलाह देते हैं।

     

    मंगल देव को कैसे प्रसन्न करें?

    • मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें।
    • मंगलवार का व्रत करने से भी शुभ फल मिलता है।
    • मंगलवार के दिन लाल रंग की चीजों का दान करें।
    • मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े का भी दान कर सकते हैं।
    • रोजाना सुबह और शाम में हनुमान चालीसा का पाठ करें।
    • शनिवार के दिन राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करें।

    मंगलवार मंत्र

    1. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

    सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

    2. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्

    दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।

    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

    रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

    ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः

    3. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

    प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

    4. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय

    रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति

    भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।

    5. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

    श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,

    रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।