Vijaya Ekadashi 2025: 23 या 24 फरवरी, कब है विजया एकादशी? एक क्लिक में देखें सही डेट
हर साल फाल्गुन माह (Falgun Month 2025) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही दुखों का नाश होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यत है कि विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025) व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
इस बार विजया एकादशी की डेट को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ लोग विजया एकादशी 23 फरवरी की बता रहे हैं, तो कुछ विद्वान विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी (Vijaya Ekadashi 2025 Kab Hai) को करने की कह रहे हैं। ऐसे में लोग कन्फ्यूज हो रहे हैं कि विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025 Date) की सही डेट क्या है? ऐसे में आइए हम आपको बताएंगे विजया एकादशी की सही डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
विजया एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरआत 23 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है। वहीं, तिथि का समापन 24 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी को किया जाएगा।
(Pic Credit-AI)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi Significance)
सनातन धर्म में विजया एकादशी व्रत का खास महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से साधक को शत्रुओं पर विजय मिलती है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से कारोबार में वृद्धि होती है और व्रत का शुभ मिलता है।
भगवान विष्णु के मंत्र (Shri Vishnu Mantra)
- ॐ अं वासुदेवाय नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
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