Vijaya Ekadashi 2025 Date: फाल्गुन में कब है विजया एकादशी? पढ़िए व्रत पारण का सही समय
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का अधिक महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह में विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025) व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से एकादशी की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। भगवान विष्णु को एकादशी तिथि प्रिय है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के रूप में मनाई जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। इस बार विजया एकादशी 24 फरवरी (Vijaya Ekadashi 2025 Date) को किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 25 फरवरी को व्रत का पारण किया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं विजया एकादशी के शुभ मुहूर्त के बारे में।
विजया एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है और तिथि का समापन अगले दिन यानी 24 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट पर होगा। इस प्रकार विजया एकादशी 24 फरवरी को मनाई जाएगी।
विजया एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम (Vijaya Ekadashi 2025 Vrat Paran Time)
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर करने का विधान है। विजया एकादशी व्रत का पारण का समय 24 फरवरी को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक है। इस दौरान व्रत का पारण किया जा सकता है। इसके बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों या मंदिर में अन्न और धन का दान करना चाहिए। मान्यता है कि दान करने से जीवन में साधक को किसी भी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।
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ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
इन बातों का रखें खास ध्यान
- एकदशी व्रत विधिपूर्वक करना चाहिए।
- इस दिन दान करना फलदायी साबित होता है।
- भगवान विष्णु को प्रिय भोग लगाने चाहिए।
- भोग थाली में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करने चाहिए।
- घर और मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- तुलसी माता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
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