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    Vijaya Ekadashi Kab Hai: विजया एकादशी कब है, क्यों मनाया जाता है? पढ़ें शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक यहां

    Updated: Fri, 14 Feb 2025 06:55 PM (IST)

    विजया एकादशी का व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसका उद्देश्य शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना है। मान्यता है कि भगवान राम ने इसी एकादशी का व्रत करके रावण को पराजित किया था। इस व्रत को करने से रोग-शोक से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय मिलती है। भगवान खुश होकर आशीर्वाद देते हैं।

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    विजया एकादशी से जुड़ी अहम बातें (जागरण)

    जागरण संवाददाता, पटना। Vijaya Ekadashi Kab Hai: एकादशी व्रत का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है। वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथि आती है। इस तरह से हर माह में दो, एक कृष्णपक्ष में तो दूसरा शुक्लपक्ष में पड़ता है। ऐसे में विजया एकादशी की तिथि अहम होती है।

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    फाल्गुन कृष्ण एकादशी में इस वर्ष 24 फरवरी सोमवार यह तिथि आएगी। इस दिन साधु, संत, संन्यासी, वैष्णवजन के साथ गृहस्थ आश्रम के लोग व्रत रखेंगे और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगे । शाम 4:10 बजे तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र फिर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र विद्यमान रहेगा।

    विजया एकादशी को शिववास का संयोग होने से सनातन धर्मावलंबी इस दिन विष्णु के साथ शिव की भी पूजा-आराधना करेंगे। मान्यता है कि इसी एकादशी का व्रत करके प्रभु श्रीराम ने रावण को पराजित किया था।

    श्रीराम ने किया था विजया एकादशी का व्रत 

    विजया एकादशी का व्रत करने से साधक को सभी क्षेत्र में विजय मिलता है। यह व्रत रोग-शोक से मुक्ति तथा शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला होता है। व्रत करने व इसके माहात्म्य को पढ़ने या सुनने से वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

    एकादशी पर ऐसे करें पूजा-अर्चना 

    विजया एकादशी के दिन पवित्र जल से या गंगा नदी में स्नान कर श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। गंगाजल व पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र, उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, चंंदन, पुष्प, इत्र, तिल, तुलसी से शृंगार कर धूप-दीप, ऋतुफल, मिष्ठान का भोग फिर पान-सुपारी अर्पित कर कर्पूर से आरती करें।

    कई श्रद्धालुओं के घरों में इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा के बाद स्कंद पुराण के रेवा खण्ड के सप्तध्यायी पौराणिक कथाओं का श्रवण किया जाएगा। शंख, करताल, झाल, घंटी बजाकर भगवान की विधि-विधान से आरती उतारेंं। इस व्रत का पारण 25 फरवरी मंगलवार को स्नान, पूजा के बाद अन्न, वस्त्र, फल, घी, स्वर्ण आदि के दान के बाद गाय के दही से होगा ।

     इस मंत्र का करें जाप 

    एकादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः । ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् । ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: का जाप तथा विष्णु सहस्रनाम, पुरुष सूक्त, श्री सूक्त, रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत का पाठ करने से शुभ फल का प्राप्ति होती है। ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से आरोग्य, ऐश्वर्य, सांसारिक सुख व परमलोक की प्राप्ति होती है।

    इस दिन गोदान, वस्त्रदान, छत्र, जूता, फल, सत्तू, सुपारी, जनेऊ, जलघट, पंखा आदि का दान करना पुण्यदायक होता है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है, मैं वृक्षों में पीपल एवं तिथियों में एकादशी हूं। इससे स्पष्ट है कि एकादशी का कितना महात्म्य है।

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