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    Varuthini Ekadashi के दिन इस तरह करें तुलसी माता की पूजा, प्रभु श्रीहरि की भी मिलेगी कृपा

    Updated: Mon, 21 Apr 2025 09:24 AM (IST)

    हिंदू धर्म में माना जाता है कि नियमित रूप से तुलसी जी की पूजा करने से सदैव घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है। इसी के साथ एकादशी पर तुलसी की पूजा (Tulsi Puja) का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन तुलसी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होने में देर नहीं लगती। आइए जानते हैं कि एकादशी के दिन तुलसी पूजन कैसे करें।

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    Varuthini Ekadashi 2025 Tulsi Puja Vidhi and mantra

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत किया जाता है। ऐसे में यह व्रत इस बार 24 अप्रैल को किया जा रहा है। एकादशी के दिन तुलसी का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि तुलसी प्रभु श्रीहरि की प्रिय मानी गई है।

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    ऐसे में अगरे आप एकादशी के दिन तुलसी जी की पूजा करते हैं, तो इससे आपको मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं तुलसी की पूजन विधि।

    जानें तुलसी पूजा की विधि (Tulsi Puja Vidhi)

    वरूथनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लें। इसके बाद तुलसी के आस-पास सफाई करें। पूजा में माता तुलसी को सिंदूर और फूल अर्पित करें। अब तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। तुलसी मंत्र का जाप करें और अंत में तुलसी जी की आरती करें। इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी जी की पूजा के दौरान उसे स्पर्श न करें।

    रखें इन नियमों का ध्यान

    आपको एकादशी के दिन तुलसी पूजन का लाभ तभी मिल सकता है जब आप इस दिन पर तुलसी से संबंधित नियमों का ध्यान रखें। एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पर तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

    साथ ही इस दिन पर तुलसी के पत्ते भी नहीं उतारने चाहिए। इसी के साथ कभी भी बिना स्नान किए तुलसी को न छुएं और न ही कभी जूठे हाथों से तुलसी को स्पर्श करें। ऐसा करना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता।

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    तुलसी जी के मंत्र -

    1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    2. तुलसी गायत्री - ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

    3. वृंदा देवी-अष्टक मंत्र -

    गाङ्गेयचाम्पेयतडिद्विनिन्दिरोचिःप्रवाहस्नपितात्मवृन्दे ।

    बन्धूकबन्धुद्युतिदिव्यवासोवृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥

    4. तुलसी स्तुति मंत्र -

    देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

    नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

    5. तुलसी नामाष्टक मंत्र -

    वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।