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    Varuthini Ekadashi पर करें मां तुलसी के इन मंत्रों का जप, चमक जाएगी आपकी किस्मत

    हर महीने में दो बार एकादशी व्रत किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार वैशाख माह में 24 अप्रैल (Varuthini Ekadashi 2025 Date) को वरूथिनी एकादशी व्रत किया जाएगा। इस दिन तुलसी पूजा करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां तुलसी की पूजा करने से धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही सभी मुरादें पूरी होती हैं।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 20 Apr 2025 11:00 PM (IST)
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    Varuthini Ekadashi 2025: इस तरह करें मां तुलसी को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस पौधे में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। ऐसे में वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) की पूजा के दौरान तुलसी मंत्र को जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी मंत्र का जप करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।

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    तुलसी जी के मंत्र -

    महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    तुलसी गायत्री -

    ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

    मां तुलसी का पूजन मंत्र

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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    तुलसी स्तुति मंत्र -

    देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

    नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

    तुलसी नामाष्टक मंत्र -

    वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

    वृंदा देवी-अष्टक मंत्र

    गाङ्गेयचाम्पेयतडिद्विनिन्दिरोचिःप्रवाहस्नपितात्मवृन्दे ।

    बन्धूकबन्धुद्युतिदिव्यवासोवृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥

    तुलसी स्तुति

    मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि।

    आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥

    यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः।

    यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥

    अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम्।

    आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम्॥

    देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः।

    नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये॥

    सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा।

    आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये॥

    तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा।

    कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम्॥

    या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी

    रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी।

    प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता

    न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः॥

    ॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥

    मां लक्ष्मी के मंत्र

    1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

    या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

    या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

    सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

    2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

    3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।