Vaikuntha Ekadashi 2025 Date: कब है बैकुंठ एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
धार्मिक मत है कि बैकुंठ एकादशी (Putrada Ekadashi 2024 Date) तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं मृत्यु उपरांत बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। साधक बैकुंठ एकादशी पर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में बैकुंठ एकादशी का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर बैकुंठ के स्वामी भगवान जगदीश की और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही बैकुंठ एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को भगवान विष्णु के लोक में स्थान मिलता है। साथ ही जन्म-मृत्यु के चक्र से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि बैकुंठ एकादशी तिथि पर बैकुंठ लोक का मुख्य द्वार (मुख्य दरवाजा) खुला रहता है। वैदिक गणना के अनुसार, यह पर्व सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने के दौरान मनाया जाता है। कई बार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। साधक बैकुंठ एकादशी तिथि पर श्रद्धा भाव से भगवान श्रीहरि की पूजा करते हैं। आइए, बैकुंठ एकादशी की सही डेट शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-
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बैकुंठ एकादशी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर होगी। वहीं, समापन 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 10 जनवरी को बैकुंठ एकादशी मनाई जाएगी। हालांकि, बैकुंठ एकादशी व्रत रखने से पहले स्थानीय पंचांग का अवश्य विचार कर लें। साधक चाहे तो अपने कुल पंडित से भी सलाह ले सकते हैं। बैकुंठ एकादशी पर शुभ एवं शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
बैकुंठ एकादशी पारण समय
साधक 10 जनवरी को बैकुंठ एकादशी का व्रत रखेंगे। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। शाम में आरती कर फलाहार करें। साधक रात्रि में जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना कर सकते हैं। इसके अगले दिन सामान्य दिनों की तरह पूजा-पाठ कर व्रत खोलें। इस समय ब्राह्मणों को दान अवश्य दें। 11 जनवरी को सुबह 07 बजकर 21 मिनट से लेकर 08 बजकर 21 मिनट के मध्य व्रत खोल सकते हैं।
पूजा विधि
साधक बैकुंठ एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान विष्णु का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। दैनिक कार्यो से निवृत्त (सभी कामों से निपटने) होने के बाद सुविधा न होने पर सामान्य पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। अब आचमन कर पीले रंग का कपड़ा पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के समय भगवान विष्णु को फल, फूल, मिष्ठान आदि चीजें अर्पित करें। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें।
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