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    Putrada Ekadashi 2024 Date: कब है पौष पुत्रदा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 08 Dec 2024 05:52 PM (IST)

    धर्मिक मत है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही नवविवाहित दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान विष्णु एवं धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी (Putrada Ekadashi 2024 Date) का व्रत रखा जाता है।

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    Putrada Ekadashi 2024 Date: पौष पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। पुत्र प्राप्ति के इच्छुक साधक पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं। धार्मिक मत है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निसंतान दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर सभी वर्ग के साधक भगवान विष्णु की साधना करते हैं। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi 2025 Date) पर भक्ति भाव से आराध्य भगवान विष्णु की पूजा करें। आइए, पौष पुत्रदा एकादशी की सही डेट शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    पौष पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। हालांकि, व्रत रखने से पूर्व कुल पंडित से अवश्य सलाह लें।

    पौष पुत्रदा एकादशी शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी पर दुर्लभ शुभ एवं शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। शुभ योग दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक है। इसके बाद शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

    पूजा विधि

    पौष पुत्रदा एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय घर की साफ-सफाई करें। अब दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। साथ ही बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के समय पीले रंग का फूल, फूल, चंदन, तिल, जौ, अक्षत, दूर्वा आदि चीजें भगवान विष्णु को अर्पित करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि एवं धन में वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। रात्रि में जागरण करें और अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।

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    डिसक्लेमर:'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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