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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी कब है? एक क्लिक में नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 02 Apr 2025 09:00 PM (IST)

    सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार पर व्रत रखा जाता है। सावन सोमवार व्रत करने से साधक को मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सावन महीने में पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2025) मनाई जाती है।

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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पुत्रदा एकादशी का खास महत्व है। यह पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को अमोघ और अक्षय फल मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से उच्च लोक में स्थान मिलता है। 

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    धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निसंतान दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इस व्रत को नवविवाहित दंपती भी कर सकते हैं। पुत्रदा एकादशी व्रत करने से सामान्य जन को मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी की कृपा साधक पर बरसती है। आइए, श्रावण पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2025 Date) की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 05 अगस्त को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते हैं। 

    पुत्रदा एकादशी पारण समय

    पुत्रदा एकादशी का पारण 06 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन पारण का समय सुबह 05 बजकर 45 मिनट से लेकर 08 बजकर 26 मिनट तक है। इस दौरान साधक स्नान-ध्यान कर भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। इसके बाद अन्न का दान कर व्रत खोल सकते हैं।

    पुत्रदा एकादशी शुभ योग (Putrada Ekadashi Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी पर दुर्लभ इन्द्र योग का संयोग है। साथ ही भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन भद्रा दोपहर 11 बजकर 43 मिनट तक स्वर्ग में रहेंगी। इसके बाद भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग और पाताल में रहने के दौरान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।