Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी पर ऐसे करें तुलसी की पूजा, वास्तु दोष की समस्या जल्द होगी खत्म
पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर षटतिला एकादशी व्रत किया जाता है। जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2025) व्रत को अधिक शुभ माना जाता है। सनातन शास्त्रों में इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन तुलसी पूजा का विधान है। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन षटतिला एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संग तुलसी पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक उपासना करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और धन लाभ के योग बनते हैं। इस बार 25 जनवरी (Shattila Ekadashi 2025 Date) को षटतिला एकादशी व्रत किया जाएगा।
इस व्रत को सच्चे मन से करने से जीवन के सभी कष्ट खत्म होते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। अगर आप षटतिला एकादशी के दिन मां तुलसी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो षटतिला एकादशी के दिन विधिपूर्वक मां तुलसी की उपासना (Maa Tulsi ke puja kaise kare) करें। सच्चे मन से पूजा करने से मां तुलसी की कृपा बनी रहती है। साथ ही घर में सुख-शांति का आगमन होता है। आइए जानते हैं तुलसी पूजा विधि के बारे में।
षटतिला एकादशी तुलसी पूजा विधि (Shattila Ekadashi 2025 Tulsi Puja Vidhi)
- षटतिला एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनें, क्योंकि श्रीहरि को पीला रंग प्रिय है।
- मंदिर की सफाई करने के बाद पूजा की शुरुआत करें।
- पूजा के बाद तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- मां तुलसी को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- तुलसी मंत्रो का जप करें।
- जीवन में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
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तुलसी पूजा से मिलते हैं ये लाभ
- एकादशी तिथि मां तुलसी को प्रसन्न करने के लिए शुभ मानी जाती है।
- इस दिन तुलसी की पूजा करने से जीवन हमेशा खुशहाल रहता है।
- पूजा के दौरान तुलसी मंत्रों का जप करने से शुभ फल मिलता है।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
- वास्तु दोष की समस्या दूर होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- व्यक्ति पर सदैव भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
तुलसी स्तुति मंत्र -
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
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