Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी पर जरूर करें तिल से जुड़े ये काम, भर-भरकर बरसेगी कृपा
हर माह में आने वाली एकादशी तिथि भगवान विष्णु की प्रिय मानी गई है। ऐसे में यह प्रभु श्रीहरि और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक अच्छा अवसर है। जनवरी माह की दूसरी एकादशी षटतिला एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन पर आपको तिल से जुड़े कुछ उपाय करने से काफी लाभ मिल सकता है। चलिए जानते हैं वह उपाय।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी को एकादशी षटतिला के नाम से जाना जाता है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, इस एकादशी का संबंध तिल से माना जाता है। ऐसे में अगर आप इस दिन पर तिल का कुछ इस प्रकार इस्तेमाल करते हैं, तो इससे आपको भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो सकती है।
एकादशी शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi Muhurat)
माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 24 जनवरी 2025 को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं एकादशी तिथि का समापन 25 जनवरी को रात 08 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, षटतिला एकादशी शनिवार, 25 जनवरी को मनाई जाएगी।
जरूर करें ये काम
षटतिला एकादशी के दिन पानी में काले या सफेद तिल डालकर स्नान करना चाहिए। इसी के साथ इस दिन पर गंगाजल में तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसी के साथ पूजा दौरान भगवान विष्णु को तिल और शक्कर का भोग लगाएं। इससे आपको व्रत का दोगुना फल प्राप्त हो सकता है।
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करें इन चीजों का दान
षटतिला एकादशी के दिन आप तिल के दान कर सकते हैं। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभावों में कमी आती है। इसी के साथ तिल के लड्डू बनाकर गरीब व जरूरतमंद लोगों में भी दान कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे व्यक्ति का दुख, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर होता है।
मिलेंगे अच्छे परिणाम
षटतिला एकादशी के दिन आप अपने भोजन में तिल को जरूर शामिल करें। इसके लिए आप तिल के लड्डू, तिल की पट्टी या फिर तिल का गुड़ के साथ सेवन कर सकते हैं। इससे भी जातक को जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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