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    Shattila Ekadashi 2025 Date: कब और क्यों मनाई जाती है षटतिला एकादशी?

    सनातन शास्त्रों में एकादशी तिथि (Shattila Ekadashi 2025 Date) की महिमा का गुणगान किया गया है। इस व्रत को करने से साधक के जीवन में सुखों का आगमन होता है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। जगत के पालनहार भगवान विष्णु की लीला अपरंपार है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 16 Jan 2025 06:27 PM (IST)
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    Shattila Ekadashi 2025 Date: षटतिला एकादशी की पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। एकादशी व्रत महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं।

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    वैष्णव समाज के लोग एकादशी तिथि पर व्रत रख भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा (Shattila Ekadashi 2025 Puja Vidhi) करते हैं। साथ ही एकादशी के दिन विशेष उपाय भी किए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कब और क्यों माघ महीने में षटतिला एकादशी मनाई जाती है? आइए, षटतिला एकादशी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    कब मनाई जाती है षटतिला एकादशी?

    हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि के एक दिन पहले षटतिला एकादशी मनाई जाती है। आसान शब्दों में कहें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत को करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि षटतिला एकादशी व्रत करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। इस तिथि पर तिल एवं अन्न का दान करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

    कब है षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 24 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 25 जनवरी को रात 08 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्योदय के बाद की जाती है। अतः 25 जनवरी को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी।

    षटतिला एकादशी शुभ योग (Shattila Ekadashi Shubh Yoga)

    षटतिला एकादशी पर ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।