Rangbhari Ekadashi 2025: मार्च में कब है रंगभरी एकादशी? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पारण समय
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi 2025 Date) के रूप मनाई जाती है जिसे आमलकी एकादशी (Amlaki Ekadashi 2025) के नाम से भी जाना जाता है। रंगभरी एकादशी महादेव और भगवान विष्णु को समर्पित है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rangbhari Ekadashi 2025: हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह में रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि रंगभरी एकादशी व्रत करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन की इस एकादशी तिथि पर महादेव मां पार्वती को काशी लेकर आए थे, जिसके बाद उन्होंने मां पार्वती को गुलाल अर्पित किया था। इसी वजह से इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि रंगभरी एकादशी की डेट, पूजा का शुभ मुहूर्त, और व्रत पारण के समय के बारे में।
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रंगभरी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Rangbhari Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 मार्च को रात 07 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, तिथि का समापन 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। इस प्रकार से 10 मार्च को (Kab Hai Rangbhari Ekadashi 2025) रंगभरी एकादशी व्रत किया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 59 मिनट से 05 बजकर 48 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 36 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट पर
चन्द्रोदय- दोपहर 02 बजकर 51 मिनट पर
चंद्रास्त- मार्च 11 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर
रंगभरी एकादशी 2025 व्रत पारण का टाइम (Rangbhari Ekadashi 2025 Vrat Paran Time)
पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी व्रत पारण करने का शुभ मुहूर्त 11 मार्च को सुबह 06 बजकर 35 मिनट से 08 बजकर मिनट तक है। रंगभरी एकादशी व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि दान करने से साधक को जीवन में किसी भी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
विष्णु मंत्र
1. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
2. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
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