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    Putrada Ekadashi पर सिद्ध और रवि योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 10:01 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Putrada Ekadashi 2025) तिथि पर तुलसी मां की पूजा करने से जीवन में सुखों का आगमन होता है। साथ ...और पढ़ें

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    पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें?

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 30 दिसंबर को पुत्रदा एकादशी है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से सुख, सौभाग्य और वंश में वृद्धि होती है। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि और सिद्ध योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की कृपा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

    पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 31 दिसंबर को सुबह 05 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से उदया तिथि की गणना की जाती है। अत: 30 दिसंबर को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी।

    पुत्रदा एकादशी पारण समय (Putrada Ekadashi Paran Timing)

    पुत्रदा एकादशी का पारण साधक 31 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 58 मिनट के मध्य कर सकते हैं। इस दौरान साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।

    रवि योग

    ज्योतिषियों की मानें तो पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि का संयोग बन रहा है। रवि योग सुबह 07 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा। वहीं, 31 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगा। इस योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

    सिद्ध योग

    पुत्रदा एकादशी पर सिद्ध योग का भी संयोग है। सिद्ध योग का संयोग देर रात 01 बजकर 02 मिनट तक है। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के शुभ कामों में सिद्धि मिलेगी। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी की कृपा भी बरसेगी।

    नक्षत्र एवं करण

    पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर गर और वणिज करण का भी संयोग बन रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 34 मिनट पर
    • चंद्रोदय- दोपहर 01 बजकर 33 मिनट पर
    • चंद्रास्त- सुबह 03 बजकर 43 मिनट पर (31 दिसंबर)
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक

    यह भी पढ़ें- Putrada Ekadashi के दिन पूजा के समय करें इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।