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    Putrada Ekadashi 2025: इन शक्तिशाली मंत्रों के जप से दूर होगी हर बाधा, खुल जाएंगे किस्मत के सारे द्वार

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 30 Jul 2025 09:30 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी के दिन (Putrada Ekadashi 2025 Yoga) इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाएगी। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही दान-पुण्य किया जाता है।

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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पुत्रदा एकादशी का खास महत्व है। यह पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा सनातन शास्त्रों में विस्तारपूर्वक किया गया है।

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    धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्त या साधक को मृत्यु के बाद उच्च लोक में स्थान मिलता है। पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

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    अगर आप भी सुख, सौभाग्य और वंश में वृद्धि पाना चाहते हैं, तो पुत्रदा एकादशी के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के समापन के समय यह आरती करें।

    विष्णु मंत्र

    1. ॐ नमोः नारायणाय॥

    2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र

    ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

    3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    5. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    6. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    7. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

    8. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद

    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः॥

    9. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,

    तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

    10. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॥ आरती श्री जगदीशजी ॥

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

    स्वमी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।