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    Papmochani Ekadashi पर जरूर करें ये आरती, पूजा होगी सफल, मिलेगा पूरा फल

    पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च किया जा रहा है। यह एकदाशी हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आती है। माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से साधक को पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में इस दिन पर पूर्ण फल पाने के लिए माता लक्ष्मी और तुलसी जी की आरती का पाठ जरूर करें।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 25 Mar 2025 08:56 AM (IST)
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    Papmochani Ekadashi 2025 मिलेगा पूजा का पूरा फल।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी एक बहुत ही खास तिथि है, जिसे भगवान विष्णु की आराधना के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन पर जातक विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और व्रत भी करते हैं। ऐसे में आप पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) के दिन पूजा के दौरान विधिवत रूप से पूजा करने के बाद आरती जरूर करें। 

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    माता लक्ष्मी की आरती (Laxmi ji ki Aarti)

    ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। मैया तुम ही जग-माता।।

    सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। मैया सुख सम्पत्ति दाता॥

    जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। मैया तुम ही शुभदाता॥

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। मैया सब सद्गुण आता॥

    सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। मैया वस्त्र न कोई पाता॥

    खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। मैया क्षीरोदधि-जाता॥

    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। मैया जो कोई जन गाता॥

    उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    एकादशी तिथि पर विष्णु जी के साथ-साथ लक्ष्मी माता की पूजा-अर्चना करने का भी विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु के साथ-साथ लक्ष्मी माता की आरती भी जरूर करें, ताकि आपको एकादशी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

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    तुलसी जी की आरती (Tulsi Mata ki Aarti)

    जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। मैय्या जय तुलसी माता।।

    सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।

    रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता। मैय्या जय तुलसी माता।।

    बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

    विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। मैय्या जय तुलसी माता।।

    हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

    पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। मैय्या जय तुलसी माता।।

    लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।

    मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता।।

    (Picture Credit: Freepik)

    हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।

    प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता। मैय्या जय तुलसी माता।।

    हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।

    जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।।

    तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय मानी गई है, इस कारण एकादशी के दिन तुलसी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में इस दिन पर तुलसी माता की आरती भी जरूर करनी चाहिए, ताकि आपको प्रभु श्रीहरि की असीम कृपा की प्राप्ति हो सके।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।