Papankusha Ekadashi 2025 Date: कब मनाई जाएगी पापांकुशा एकादशी? अभी नोट करें तिथि और व्रत के नियम
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने का विधान है। आश्विन माह में पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2025) मनाई जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं पापांकुशा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन माह को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी (Papankusha Ekadashi 2025) के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
पापांकुशा एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 10 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में पापांकुशा एकादशी व्रत 03 अक्टूबर (Papankusha Ekadashi 2025 Kis Din Hai) को किया जाएगा और 04 अक्टूबर को व्रत का पारण किया जाएगा।
पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम (Papankusha Ekadashi 2025 Vrat Paran Time)
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। पापांकुशा एकादशी व्रत पारण करने का समय 04 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय व्रत का पारण किया जा सकता है।
इसके बाद मंदिर या गरीब लोगों में अन्न-धन समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वादशी तिथि पर दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
स्कंद पुराण में एकादशी महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस व्रत के दौरान नियम का पालन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि व्रत के नियम का पालन न करने से साधक को शुभ फल नहीं मिलता है। व्रत के दौरान किसी से वाद-विवाद न करें। किसी के बारे में गलत न सोचें।
एकादशी के दिन जरूर करें ये काम
- इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
- व्रत कथा और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- विशेष चीजों का दान करें।
- सात्विक भोजन का सेवन करें।
- पीले रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है।
विष्णु मंत्र
1. ॐ नमोः नारायणाय॥
2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
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