Nirjala Ekadashi Puja Samgri List: विष्णु जी की पूजा में शामिल करें ये चीजें, नोट कर लें सामग्री लिस्ट
एकादशी तिथि पर विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विधान है। साल में आने वाली 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत को करने से 24 एकादशी के व्रत करने जितना फल मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी शुक्रवार 6 जून को मनाई जा रही है। ऐसे में अपनी पूजा सामग्री लिस्ट अभी से तैयार कर लें, ताकि आप पूजा थाली में जरूरी चीजें शामिल करने से चूंक न जाएं और आपको व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। चलिए पढ़ते हैं निर्जला एकादशी की पूजा विधि और सामग्री लिस्ट।
पूजा सामग्री लिस्ट (Nirjala Ekadashi Puja Samgri List)
- भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
- कलश (तांबे या मिट्टी), नारियल और सुपारी
- गंगाजल
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)
- तुलसी के पत्ते, मिठाई और पंचमेवा
- पीला वस्त्र, पीला फूल, चंदन
- धूप, दीप, कपूर और अगरबत्ती
- पीले रंग का अक्षत और कुमकुम
(Picture Credit: Freepik)
कैसे करें निर्जला एकादशी व्रत
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। स्नानादि करने के बाद पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
विधि-विधान से पूजन करें और फल-फूल और भोग आदि अर्पित करें। एकादशी कथा का पाठ करें। इसी के साथ एकादशी तिथि पर दान-दक्षिणा करना भी पुण्यकारी माना जाता है। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर प्रात: भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करें।
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करें इन मंत्रों का जप
1. 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2. ॐ विष्णवे नमः
3. श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि
4. भगवान विष्णु गायत्री मंत्र - ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:
5. लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
6. विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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