Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mokshada Ekadashi 2024 Mantra: मोक्षदा एकादशी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जप, धन की समस्या हो जाएगी दूर

    ज्योतिषियों की मानें तो गीता जयंती (Mokshada Ekadashi 2024 Mantra) पर एक साथ कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इस शुभ अवसर पर तुलसी मां की भी पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 10 Dec 2024 04:08 PM (IST)
    Hero Image
    Mokshada Ekadashi 2024 Mantra: भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। विष्णु पुराण में एकादशी व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा साधक पर बरसती है। उनकी कृपा से साधक के सुख, शोहरत, धन और ऐश्वर्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मोक्षदा एकादशी तिथि पर विधि विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा (Mokshada Ekadashi 2024 Puja Vidhi) करें। वहीं, पूजा के समय इन चमत्कारी मंत्रों का जप अवश्य करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: मोक्षदा एकादशी पर तुलसी से जुड़े करें ये उपाय, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी

    विष्णु मंत्र

    1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

    3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    4. ॐ नमो भगवते धनवंतराय।

    अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय।

    वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय।

    सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय।

    सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय।

    सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय।

    सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय।

    सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय।

    सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय।

    सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय।

    सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी।

    धन्वन्तराय नमः।

    5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    6. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    7. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।

    8. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    9. ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

    10. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।

    स्तोत्र

    तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी ।

    शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ।।

    दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम ।

    घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम ।।

    जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम ।

    स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा ।।

    पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी ।

    कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता ।।

    जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता ।

    नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी ।।

    संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे ।

    नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा ।।

    इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम् ।

    मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च ।।

    मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत् ।

    वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम् ।।

    द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये ।।

    अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम् ।

    पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम् ।।

    राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये ।

    भक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि ।।

    जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः ।

    उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः ।।

    तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम् ।

    सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम् ।।

    मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम् ।

    या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत् ।।

    सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम् ।

    वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः ।।

    साSपिसंवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम् ।

    अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक ।।

    पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः ।

    कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम ।।

    श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत् ।

    किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः ।।

    यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम् ।

    मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया ।।

    जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः ।

    मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः ।।

    यह भी पढ़ें: Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी पर दुर्लभ 'भद्रावास' योग समेत बन रहे हैं ये 6 अद्भुत संयोग

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।