Yogini Ekadashi के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना मिलेंगे अशुभ परिणाम
वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही व्रत करते हैं। योगिनी एकादशी व्रत से जुड़े नियम का पालन जरूर करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 21 जून (Yogini Ekadashi 2025 Date) को योगिनी एकादशी मनाई जाएगी। सनातन धर्म में इस एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, योगिनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन खुशहाल होता है। योगिनी एकादशी के दिन भूलकर भी कुछ कामों को नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि वर्जित कामों को करने से धन की देवी नाराज हो सकती हैं। साथ ही जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइए से जानते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन दिन क्या करें और क्या न करें।
योगिनी एकादशी के दिन क्या करें (What to do on the day of Yogini Ekadashi)
- योगिनी एकादशी के दिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- मंदिर की सफाई करें।
- देसी घी का दीपक जलाकर पूजा करें।
- मंत्रों का जप करें।
- तुलसी की पूजा करें।
- योगिनी व्रत कथा का पाठ करें।
- आरती करने के बाद भोग लगाएं।
- आखिरी में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
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योगनी एकादशी के दिन क्या न करें (What not to do on the day of Yogini Ekadashi)
- एकादशी के दिन चावल और तामसिक चीजों को नहीं खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस गलती को करने से साधक को पाप लगता है।
- किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें।
- घर में गंदगी न करें।
- साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
- काले वस्त्र भूलकर भी न धारण न करें।
- मन में किसी के बारे में गलत न सोचें।
- एकादशी तिथि पर तुलसी के पत्ते तोड़ने की मनाही है। इस गलती को करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती है।
योगिनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 22 जून को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में 21 जून को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा।
विष्णु मंत्र
1. ॐ नमोः नारायणाय॥
2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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