Kartik 2024 Ekadashi: कार्तिक माह में कब मनाई जाएगी रमा और देवउठनी एकादशी? जानिए डेट और शुभ मुहूर्त
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन उपासना करने से जातक के बिगड़े काम पूरे होते हैं। अब जल्द ही कार्तिक माह शुरू होने वाला है। आइए जानते है कार्तिक में कब और कौन सी एकादशी (Ekadashi in Kartik 2024) मनाई जाएगी?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekadashi in Kartik Maah 2024: एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस खास तिथि पर श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुरुआत 18 अक्टूबर से होगी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं। साथ ही हर माह में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2024) और देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2024) है। आइए, एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।
रमा एकादशी 2024 डेट और टाइम (Rama Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रमा एकादशी व्रत किया जाता है। इस तिथि की शुरुआत 27 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 28 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में 27 अक्टूबर को रमा एकादशी व्रत किया जाएगा। एकादशी व्रत पारण करने का मुहूर्त इस प्रकार है-
रमा एकादशी व्रत का पारण 28 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 44 मिनट तक है।
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देवउठनी एकादशी 2024 डेट और टाइम (Dev Uthani Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 46 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 12 नवंबर को संध्याकाल 04 बजकर 04 मिनट पर होगा। इस प्रकार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह का पर्व भी मनाया जाएगा। एकादशी व्रत पारण करने का मुहूर्त इस प्रकार है-
देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 12 नवंबर को सुबह 06 बजकर 42 मिनट से लेकर 08 बजकर 51 मिनट तक है।
एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें। उनका पंचामृत से अभिषेक करें। पीले वस्त्र अर्पित करें। गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। अंत में लोगों को प्रसाद का वितरण करें।
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