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    Devshayani Ekadashi 2025: 7 नहीं, 6 जुलाई को क्यों रखा जाएगा देवशयनी एकादशी व्रत? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 11:42 AM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवशयनी एकादशी व्रत किया जाता है। देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। धार्मिक मत है कि इस व्रत को करने से साधक के सभी पाप कट जाते हैं।

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    Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आषाढ़ के महीने को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस माह की दूसरी एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु चार क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं। इस दौरान शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है।

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    धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने से साधक को सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि देवशयनी एकादशी व्रत का पारण, शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में।

    देवशयनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर

    देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 06 जुलाई को किया जाएगा।

    देवशयनी एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम (Devshayani Ekadashi 2025 Vrat Paran Timing)

    एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर ही करना चाहिए। इस बार देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 07 जुलाई को किया जाएग। इस दिन सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त है।

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    देवशयनी एकादशी व्रत पारण की विधि (Devshayani Ekadashi 2025 Vrat Paran vidhi)

    द्वादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान कर पीले कपड़े धारण करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। आरती कर मंत्रों का जप करें। इसके बाद भगवान विष्णु सात्विक चीजों का भोग लगाएं। एक बात का खास ध्यान रखें कि भोग में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि भोग में तुलसी के पत्ते शामिल न करने से श्रीहरि भोग को स्वीकार नहीं करते हैं। आखिरी में लोगों में प्रसाद का वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करें।

    देवशयनी एकादशी दान (Devshayani Ekadashi Daan)

    सनातन शास्त्रों में देवशयनी एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में देवशयनी एकादशी के दिन पूजा करने के बाद कपड़े, धन और अन्न समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन चीजों का दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और मां लक्ष्मी सभी मुरादें पूरी करती हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।