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    Devshayani Ekadashi 2025 Date: कब और क्यों मनाई जाती है देवशयनी एकादशी? नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त

    सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि चातुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। सावन महीने में पुत्रदा एकादशी (Ekadashi Vrat 2025 Date) मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 02 Jul 2025 01:24 PM (IST)
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    Devshayani Ekadashi 2025 Date: देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है। यह पर्व भगवान विष्णु  को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता  है। भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। हर महीने दो एकादशी मनाई जाती है,  लेकिन क्या आपको पता है कि देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025 Date) कब और क्यों मनाई जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    कब मनाई जाती है देवशयनी एकादशी?

    आषाढ़ माह में पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। लगातार चार महीने के विश्राम के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागृत होते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है।

    कब है देवशयनी एकादशी? (Devshayani Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी।

    देवशयनी एकादशी शुभ योग (Devshayani Ekadashi 2025 Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो देवशयनी एकादशी पर साध्य, शुभ, त्रिपुष्कर योग और भद्रावास योग समेत कई दुर्लभ और मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से न केवल जीवन की हर एक परेशानी दूर होगी, बल्कि घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।