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    Amalaki Ekadashi 2025 Vrat Katha: आमलकी एकादशी पर करें इस कथा का पाठ, सभी पापों का होगा नाश

    Updated: Mon, 10 Mar 2025 12:22 PM (IST)

    हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक व्रत किया जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2025) व्रत किया जाता है। इस दिन व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि इससे साधक को श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है।

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    Amalaki Ekadashi 2025: जरूर करें इस कथा का पाठ (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आज यानी 10 मार्च (Amalaki Ekadashi 2025 Date) को आमलकी एकादशी व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संग आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही अन्न और धन का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यत है कि सच्चे मन से आमलकी एकादशी व्रत को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

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    इस दिन पूजा के समय आमलकी एकादशी व्रत (Amalaki Ekadashi Katha in Hindi) कथा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि कथा का पाठ करने से एकादशी व्रत सफल होता है और साधक के सभी पापों का नाश होता है। इसलिए आमलकी एकादशी पर व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। आइए पढ़ते हैं आमलकी एकादशी की व्रत कथा।

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    आमलकी एकादशी व्रत कथा (Amalaki Ekadashi Vrat Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, वैदिक नामक एक नगर में चंद्रवंशी राजा राज्य करते थे। नगर में लोग श्रीहरि के भक्त थे और सभी विधिपूर्वक एकादशी का व्रत किया करते थे। एक बार सभी नगरवासी फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष के आमलकी एकादशी का व्रत कर विष्णु जी की पूजा कर थे। उसी समय वहां एक महापापी शिकारी का आगमन हुआ। शिकारी वहां रुककर भगवान विष्णु  की कथा सुनने लगा। इस तरह उस शिकारी ने अपनी पूरी रात जागरण करते हुए बिताया। इसके बाद घर आकर वह सो गया। कुछ दिनों बाद ही उस बहेलिया का निधन हो गया।

    उसे पापों की वजह से नरक का सामना करना पड़ा, लेकिन एक बार अनजाने में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनी थी और जागरण भी किया था, एकादशी सुनने से उसे शुभ फल प्राप्त हुआ। उसने राजा विदूरथ के घर जन्म लिया और उसका नाम वसुरथ रखा गया। एक दिन वसुरथ जंगल में भटक गया और एक पेड़ के नीचे सो गया। उस पर कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया, लेकिन उनके अस्त्र-शस्त्र का राजा पर कोई असर नहीं हुआ और राजा सोते रहे।

    एक बार जब नगर के राजा की नींद खुली तो उसने देखा कि कुछ लोग जमीन पर मृत पड़े हुए हैं।ऐसा देख राजा समझ गए कि वह उसे मारने आए थे। इसी दौरान आकाशवाणी हुई कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने तेरी जान बचाई है। पिछले जन्‍म में तुमने आमलकी एकादशी व्रत किया था और कथा का पाठ सुना था। उसी व्रत का यह फल आपको मिला है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।