आजकल अपार्टमेंट्स और अन्य घरों में किचन छोटे होते हैं और अक्सर उनमें वेंटिलेशन की सही व्यवस्था नहीं होती। ऐसे में, जब भी किचन में तड़का लगता है या कोई मसालेदार पकवान बनता है, तो धुआँ पूरे घर में फैल जाता है। यह धुआँ हमारी सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है, खासकर साँस और अस्थमा के मरीजों के लिए यह और भी दिक्कत पैदा करता है।इसी वजह से, इंडियन किचन के लिए सही किचन चिमनी चुनना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि भारतीय खाना पकाने में तेल और मसालों का अधिक इस्तेमाल होता है, जिससे काफी धुआँ और चिकनाई निकलती है। सही चिमनी चुनने से पहले आपको अपने किचन का आकार और अपना बजट पता होना चाहिए। छोटे किचन के लिए 1200 घन मीटर प्रति घंटा तक हवा को साफ करने वाली चिमनी सही होती है। वहीं, मीडियम और बड़े किचन के लिए 1400 से 1600 घन मीटर प्रति घंटा तक की क्षमता वाली चिमनी सही मानी जाती है। इसके अलावा, आप अपनी जरूरत के अनुसार फिल्टर वाली या फिल्टरलेस चिमनी का भी चुनाव कर सकते हैं। चलिए होम सॉल्यूशन और इलेक्ट्रॉनिक्स के तहत आने वली इन किचन चिमनी की खासियतों के बारे में जानते हैं।
किस प्रकार की चिमनी हैं भारतीय किचन के लिए सही?
इंडियन किचन में मुख्य रूप से दो प्रकार की चिमनियाँ इस्तेमाल की जाती हैं। इनमें फिल्टर वाली और फिल्टरलेस किचन चिमनी शामिल हैं। फिल्टर वाली चिमनियों में बैफल फिल्टर या मेष फिल्टर होते हैं, जो तेल और धुएँ को प्रभावी ढंग से सोखते हैं। बैफल फिल्टर भारतीय रसोई के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं, क्योंकि वे तेल के कणों को बेहतर तरीके से अलग करते हैं और उन्हें बार-बार साफ करने की आवश्यकता नहीं होती। वहीं, फिल्टरलेस चिमनियों में तेल और धुएँ को बाहर निकालने के लिए एक दमदार सक्शन मोटर होती है और इसमें फिल्टर को बदलने या साफ करने का झंझट नहीं होता, क्योंकि इनमें ऑटो-क्लीन फंक्शन होता है। इन चिमनियों में थर्मल ऑटो-क्लीन तकनीक भी होती है, जो गर्मी से तेल को पिघलाकर एक ऑयल कलेक्टर ट्रे में इकट्ठा करती है। भारतीय रसोई की जरूरतों को देखते हुए, उच्च सक्शन पावर (कम से कम 1200 m³/hr) वाली ऑटो-क्लीन और बैफल फिल्टर वाली चिमनी सबसे उपयुक्त विकल्प है। वहीं अगर आपको ज्यादा तेज धुंआ साफ करने वाली चिमनी चाहिए तो फिल्टरलेस चिमनी भी बेहतर विकल्प हैं।