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    Holi 2025: उदयपुर के मेनार में बारूद की होली, परंपरा, शौर्य और उत्साह का दिखा अद्भुत संगम

    Updated: Sat, 15 Mar 2025 11:47 PM (IST)

    उदयपुर जिले के मेनार गांव में होली के त्योहार का अलग रंग देखने को मिलता है। शनिवार को गांव में परंपरागत बारूद की होली का आयोजन धूमधाम से हुआ। इस आयोजन में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। बारूद की होली की शुरुआत मेनार के ओंकारेश्वर चौक पर हुई जहां गांव के सभी प्रमुख रास्तों पर प्रतीकात्मक मोर्चाबंदी की गई। इस कार्यक्रम की खूब चर्चा की जाती है।

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    उदयपुर के मेनार में बारूद की होली। (फोटो- जेएनएन)

    जेएनएन, उदयपुर। जिले के मेनार गांव में शनिवार रात परंपरागत बारूद की होली का आयोजन धूमधाम से हुआ। इस अनूठी होली में गांववासियों ने ऐतिहासिक परंपराओं को जीवंत करते हुए बारूद, हवाई फायर और तलवारबाजी के प्रदर्शन के साथ साहसिक परंपरा का प्रदर्शन किया।

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    बारूद की होली की शुरुआत मेनार के ओंकारेश्वर चौक पर हुई, जहां गांव के सभी प्रमुख रास्तों पर प्रतीकात्मक मोर्चाबंदी की गई। यह मोर्चाबंदी गांव की ऐतिहासिक विजय का प्रतीक है, जब करीब 500 साल पहले मेनारिया समाज ने मुगल सेना को पराजित किया था।

    लोगों ने खेली पारंपरिक होली

    इसके बाद ग्रामीण एक साथ हमले की मुद्रा में चौक में एकत्रित हुए और बारूद के धमाकों के बीच बंदूकों से हवाई फायर किए। इसके बाद रंगों का त्योहार शुरू हुआ, जिसमें गांव के जैन समाज की ओर से ग्रामीणों का गुलाल और अबीर से स्वागत किया गया।

    महिलाओं द्वारा रस्म और इतिहास वाचन

    इसके बाद ग्रामीण थंभ घाटी पहुंचे, जहां गांव और मेनारिया समाज के गौरवशाली इतिहास का वाचन किया गया। इतिहास वाचन से पहले महिलाओं ने 'बड़ी होली को ठंडा करने' की रस्म निभाई, जो इस परंपरा का अहम हिस्सा है।

    तलवारों की गैर और अखाड़ा प्रदर्शन

    इतिहास वाचन के बाद सभी ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ वापस ओंकारेश्वर चौक पहुंचे। वहां पारंपरिक तलवारों की गेर निकाली गई, जिसमें युवाओं ने अपने अद्भुत तलवार कौशल का प्रदर्शन किया।

    कार्यक्रम के अंतिम चरण में अखाड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने शारीरिक कौशल और शक्ति का प्रदर्शन किया।

    सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन

    मेनार की बारूद की होली न सिर्फ एक त्योहार है, बल्कि वीरता, परंपरा और समाज की एकता का प्रतीक भी है। हर साल इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर अपने गौरवशाली अतीत को याद करते हैं और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखते हैं।

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