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    पहले जहां था चर्च, अब वहां बनेंगे मंदिर, सैकड़ों परिवारों ने की सनातन धर्म में वापसी

    Updated: Sat, 22 Mar 2025 09:40 PM (IST)

    राजस्थान के तीन जिलों में सैकड़ों आदिवासी परिवारों ने फिर से सनातनी धर्म में वापसी की है। बताया जा रहा है कि इन परिवारों में करीब तीन दशक पहले ईसाई धर्म अपना लिया था। अब इन परिवारों ने कहा कि उनकी आंखें खुल चुकी हैं। अब इनके क्षेत्रों में चर्च को मंदिरों में बदला जा रहा है। मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें एवं प्रतिमाएं स्थापित की हैं।

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    सैकड़ो परिवारों ने की सनातन धर्म में वापसी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    नरेंद्र शर्मा, जागरण, जयपुर। राजस्थान के तीन जिलों बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ में पिछले करीब चार महीनों में एक सौ से अधिक आदिवासी परिवारों ने फिर हिंदू धर्म अपना लिया है। इन परिवारों ने पैसे, चिकित्सा और अच्छे जीवन स्तर के लालच में ईसाई धर्म अपनाया था।

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    कई परिवार तो ऐसे हैं, जिन्होंने करीब 25 से 30 वर्ष पहले ईसाई धर्म अपना कर गरीब एवं अनपढ़ आदिवासियों को मतांतरण के लिए भी प्रेरित किया। इन परिवारों ने सुदुर इलाकों में बने मंदिरों को चर्च में बदलकर वहां प्रार्थना सभाएं भी करवाईं, लेकिन अब उनकी आंख खुल चुकी हैं। चर्च को मंदिरों में बदला जा रहा है। जहां पहले बाइबल रखी होती थी, वहां अब रामायण, हनुमान चालीसा और हिंदू धर्म के अन्य ग्रंथ रखे हुए हैं।

    मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें स्थापित

    गरीब आदिवासियों ने पैसे एकत्रित कर मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें एवं प्रतिमाएं स्थापित की हैं। आदिवासी परिवरों की झोपडि़यों के दरवाजे पर अब भगवा पताका लहराने लगी है, जिन पर जय श्रीराम और जय भैरवनाथ लिखा है। आदिवासी जिलों के सोडला दूधका, झांबुड़ी, गांगड़तलाई, तलवाड़ा, महुड़ी, बठोड़, दाबाड़ीमाल और सोढ़ला गुढ़ा सहित कई गांवों में आदिवासी अपने मूल हिंदू धर्म में लौटे हैं।

    कई परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म

    बांसवाड़ा में सोडला दूधका गांव के अधिकतर परिवारों ने इसी महीने हिंदू धर्म अपनाया है। ग्रामीण गांव को हिंदुओं का गांव कहने पर गर्व कर रहे हैं। यहां पहाड़ियो पर बसे आदिवासियों की झोपडि़यों के दरवाजों पर भगवा पताका लहरा रही है।

    ग्रामीण विक्रम गरासिया ने बताया कि चाचा गौतम ने कई साल पहले ईसाई धर्म अपना कर प्रार्थना सभा शुरू की थी। उन्होंने ही पूरे गांव को ईसाई बना दिया, अब उन्ही के प्रयास से हम वापसी कर चुके हैं। अन्य गांवों में भी जाकर लोगों को समझाया जा रहा है। आदिवासियों की वापसी के लिए प्रेरित करने वाले संगठनों में वनवासी कल्याण परिषद, विश्व हिंदू परिषद और भगवा सेना प्रमुख हैं।

    चर्च के स्थान पर बना मंदिर

    बता दें कि सोडला दूधका में ही पिछले दिनों चर्च के स्थान पर भैरव मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ। प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार के मंत्री व आदिवासी इलाके के प्रमुख नेता बाबूलाल खराड़ी का कहना है कि हिंदू धर्म महान है। जिन आदिवासियों का जबरन या लालच देकर मतांतरण कराया गया, वे अब सही रास्ते पर लौट रहे हैं।

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