Udaipur: सामूहिक विवाह समारोह में 51 जोड़े थामेंगे एक-दूजे का हाथ
राजस्थान के उदयपुर में 25 और 26 फरवरी को नारायण सेवा संस्थान की ओर से सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाएगा। इस समारोह में 51 जोड़े एक-दूसरे का हाथ थामेंगे। यह संस्थान की ओर से आयोजित किया गया 39वां समारोह है।

उदयपुर, ऑनलाइन डेस्क। दिव्यांग और निर्धन लोगों की मदद में जुटी उदयपुर की नारायण सेवा संस्थान इस साल 25 और 26 फरवरी को एक बार फिर सामूहिक विवाह समारोह आयोजित करने जा रहा है। जिसमें राजस्थान सहित देश के विभिन्न छह प्रांतों के 51 दिव्यांग तथा निर्धन जोड़ों की पारम्परिक तरीके से शादी होगी।
1500 से अधिक अतिथि होंगे शामिल
इस कार्यक्रम में दिव्यांग दूल्हा और दुल्हन के परिजन ही नहीं, बल्कि देश—विदेश से आने वाले 1500 अतिथि भाग लेंगे। संस्थान के मीडिया प्रभारी विष्णु शर्मा हितैषी ने गुरुवार को बताया कि संस्थान का यह 39वां सामूहिक विवाह समारोह होने जा रहा है। अभी तक संस्थान 2200 दिव्यांग तथा निर्धन जोड़ों की शादी करा चुका है। इस बार होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलन की तैयारियों अंतिम चरण पर हैं।
नवदंपती को उनके घर तक पहुंचाने तक का खर्चा उठाएगा संस्थान
संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी भगवान प्रसाद गौड़ ने बताया कि परिणय सूत्र में बंधने वाले जोड़ों व उनके परिजनों का आगमन प्रारम्भ हो गया है। इन सभी के उदयपुर व विवाहोपरांत यथास्थान पहुंचाने का व्यय संस्थान वहन करेगा। जिन जोड़ों की शादी होने जा रही है, वह राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, मध्यप्रदेश और गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से है। इन जोड़ों तथा उनके परिजनों के सम्पूर्ण सुविधा युक्त आवास यातायात, भोजन आदि की व्यवस्था सेवा महातीर्थ बड़ी में ही की गई है।
इस बार की थीम 'जल ही जीवन'
संस्थान हर साल अपने कराए जाने वाले सामूहिक सम्मेलन की तैयार एक थीम के साथ करता है। इस साल सामूहिक विवाह का ध्येय वाक्य (थीम) 'जल ही जीवन' रखा गया है। इसमें नवयुगलों को सात फेरों के वचन के साथ यह शपथ भी दिलाई जाएगी कि जल का दुरुपयोग नहीं करेंगे। इस संदेश को अपने आस-पड़ोस में भी निरन्तर प्रसारित करेंगे। पिछले वर्ष के विवाह की थीम 'स्वच्छता एवं पयार्वरण संरक्षण' थी।
25 से विवाह समारोह की शुरुआत
शिविर संयोजक नरेंद्र सिंह चौहान ने विवाह कार्यक्रम की जानकारी देते कहा 25 फरवरी को प्रातः शुभ मुहूर्त में संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश 'मानव', कमला देवी अग्रवाल व विशिष्ट अतिथियों के सानिध्य में गणपति स्थापना होगी। सुबह 11:15 बजे दूल्हा-दुल्हन के हल्दी की रस्म व दोपहर में वैवाहिक गीत-नृत्य के बीच मेहंदी की रस्म पूरी होगी। इस दौरान उन जोड़ों को सम्मानित किया जाएगा, जो पिछले विवाहों में परिणय सूत्र में बंधे और बच्चों के साथ खुशमय जीवन व्यतीत कर रहे है।
अगले दिन 26 फरवरी, रविवार को प्रातः 9 बजे सेवा महातीर्थ परिसर में ही दूल्हा-दुल्हन की बाजो-गाजों के साथ बिन्दोली निकाली जाएगी। इसके बाद 10:15 बजे दूल्हों द्वारा क्रमबद्ध तोरण की रस्म निभाई जाएगी। इसके बाद गणपति पूजन एवं आराधना नृत्य के साथ दूल्हा-दुल्हन वरमाला के लिए मंचासीन होंगे। सभी जोड़े मंच पर गुलाब की पंखरियों की पुष्प वर्षा के बीच एक-दूसरे के गले में वरमाला डालेंगे।
51 वेदी 51 आचार्य
सेवा महातीर्थ में बने भव्य पाण्डाल में 51 वेदी-अग्निकुण्ड बनाए गए हैं, जहां जोड़ों का वैदिक रीति से विवाह सम्पन्न होगा। प्रत्येक वेदी पर एक आचार्य उन्हें अग्नि के सात फेरे लगवाएंगे। सभी आचार्य मुख्य आचार्य के निर्देशन में वैदिक मत्रों के उच्चारण के साथ विवाह की सम्पूर्ण रस्मे पूर्ण करवाएंगे। सभी नवयुगलों को विवाहोपरंत संस्थान व अतिथियों द्वारा उपहार प्रदान किए जाएंगे। संस्थान की ओर से एक नव गृहस्थी के लिए आवश्यक सभी सामान प्रदान किया जाएगा।
सुरजा बनेगी प्रेम का 'प्रकाश'
प्रतापगढ़ के भोजपुर गांव में रहने वाली सुरजा पुत्री मानिया मीणा जन्म से पोलियो की शिकार थी। दोनों पैरों से जमीन पर घिसट -घिसट कर चलने को मजबूर थी। संस्थान में निःशुल्क ऑपरेशन के बाद बैशाखी के सहारे चलने लगी। संस्थान ने निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण देकर उसे आत्मनिर्भर बनाया। अब अपने घर और आस-पड़ोस के लोगों के कपड़े सिलकर गरीब माता-पिता की मदद कर रही हैं। माता-पिता को अपनी गरीबी और बेटी की दिव्यांगता का दर्द सताए जा रहा था कि कौन इसका हाथ थामेगा?
लेकिन ईश्वर ने उनकी सुन ली। उदयपुर, लसाड़िया तहसील के प्रेमचंद्र पुत्र चौखा जो जन्म से ही नेत्रहीन है। जिसने जीवन में कभी हार नहीं मानी। अपने हौसलों को बुलन्द कर चुनौतियों को मात दे जोधपुर के ब्लाइंड कॉलेज से बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की। प्रेमचंद्र कहते हैं कि मैं बनूंगा सुरजा की बैशाखी तो जवाब में सुरजा कहती हैं कि इनकी नेत्रज्योति बन जीवन के हर मोड़ पर साथ निभाऊंगी।
मूक बधिर गीता की आवाज बनेगा सुमेराराम
बाड़मेर जिले की समदड़ी तहसील के देवलियारी के सुमेराराम के दांए पैर को 3 वर्ष की उम्र में पोलियो ने जकड़ लिया। 2 वर्ष पूर्व संस्थान में इनका निःषुल्क उपचार हुआ, उसके बाद बैशाखी के सहारे चलते हैं। रोजगार से जोड़ने के लिए संस्थान ने सिलाई प्रशिक्षण देकर इन्हें आत्मनिर्भर बनाया। उधर बूढ़े माता-पिता को चिंता सता रही थी कि कौन विकलांग को अपनी बेटी देगा?
लेकिन बूढ़े माता-पिता की इस चिंता का भी भगवान ने निवारण किया। समदड़ी तहसील के गोदों का बाड़ा की 21 वर्षीय गीता पुत्री बाबुराम जो जन्म से ही बोल नही पाने के दर्द से संघर्ष पूर्ण जीवन व्यतीत कर रही है। रिश्तेदार ने इन दोनों का मिलन कराया। दोनों ने एक-दूजे का सहारा बनाने की सोच सात फेरे लेने का निर्णय किया। अब संस्थान के सहयोग से दोनों जनम-जनम के साथी बनने जा रहें हैं।

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