Rajasthan News: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आसाराम बोले- मेरी कभी आरोपी से मुलाकात ही नहीं हुई, न ही जमानत के लिए बात
Rajasthan News 45 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान आसाराम जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़ा रहा। दरअसल जमानत को लेकर आसाराम के पैरोकार रवि रॉय की ओर से आसाराम को जमानत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पेश की थी।
जोधपुर, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आसाराम (Asharam) का जोधपुर जेल(Jodhpur Jail) डिस्पेंसरी का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट (Fake Medical Certificate) पेश कर जमानत हासिल करने के प्रयास मामले में गुरुवार को जोधपुर के सीजेएम मेट्रो कोर्ट(Metro Court) में सुनवाई हुई। आसाराम की तरफ से कहा गया कि उनकी कभी मुख्य आरोपी रवि रॉय (Ravi Roy) से मुलाकात नहीं हुई। न ही उन्होंने उसे जमानत याचिका दायर करने को अधिकृत किया।
रवि ने अपने स्तर पर ही जमानत याचिका दायर की। ऐसे में इस जमानत याचिका को करने से मेरी किसी स्तर पर कोई भूमिका नहीं रही। करीब 45 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान आसाराम जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़ा रहा। दरअसल जमानत को लेकर आसाराम के पैरोकार रवि रॉय की ओर से आसाराम को जमानत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पेश की थी।
जिसने जोधपुर सेंट्रल जेल की डिस्पेंसरी का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया गया था। इस सार्टिफिकेट में आसाराम की कई गंभीर बीमारियों को दर्शाया गया था। वर्ष 2017 में पेश इस सार्टिफिकेट की सुप्रीम कोर्ट ने जांच कराई। जांच में यह फर्जी पाया गया।
इस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जोधपुर के रातानाडा पुलिस थाने (Ratanada Police Station)में आसाराम के पैरोकार रवि को मुख्य आरोपी मानते हुए मामला दर्ज कराया गया था। इस मामले में आसाराम को भी आरोपी बनाया गया। आसाराम की तरफ से आज उनके वकील विजय पटेल (Vijay Patel) ने चार्ज बहस की करीब 45 मिनट में उन्होंने अपना पक्ष रखा।
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आसाराम की तरफ से कहा गया कि इस पूरे मामले में मेरी कोई भूमिका नहीं है। रवि रॉय से मेरी न तो साक्षात और न ही फोन के जरिये कोई मुलाकात हुई। न ही मैंने उसे सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने को अधिकृत किया। जोधपुर जेल से जुड़े सारे दस्तावेज रवि दिल्ली स्थित आवास से ही मिले। ऐसे में इस पूरे मामले में मेरा कोई लेना देना नहीं है अब अगली सुनवाई को रवि रॉय की तरफ से चार्ज बहस की जाएगी।
ये था मामला
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पेश कर जोधपुर सेंट्रल जेल की डिस्पेंसरी का मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया गया था, जोकि जांच में फर्जी पाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के रातानाडा थाने में आसाराम के पैरोकार रवि राय के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 193 , 196 , 200 , 201 , 420 , 465 , 464 , 468 , 471 व 120 बी में मुकदमा दर्ज किया गया।
साथ ही आसाराम को भी इस मामले में धारा 120 B में आरोपी बनाया गया है। आसाराम के पैरोकार और आसाराम के खिलाफ यह मामला साल 2017 में दर्ज किया गया था। यह मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। जिसमें अधिकतम 3 से 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।