मृतक बेटे की संपति में मां भी बराबर की हिस्सेदार, राजस्थान HC का बड़ा फैसला
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि मृतक बेटे की संपत्ति और बीमा क्लेम में पत्नी और बेटे के साथ मां भी बराबर की हकदार है। न्यायाधीश गणेशराम मीणा की एकलपीठ ने हेमलता की याचिका पर यह आदेश दिया। अदालत ने बीमा राशि में से मां को 35.92 लाख रुपये देने के निर्देश दिए क्योंकि वह भी प्रथम श्रेणी उत्तराधिकारी है।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि मृतक बेटे की संपति और बीमा क्लेम के पैसों में पत्नी एवं बेटे के साथ मां भी बराबर की हकदार है। न्यायालय ने मां को हिस्सा देने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश गणेशराम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश हेमलता की याचिका पर दिए हैं।
न्यायालय ने मृतक बेटे की बीमा राशि 1.07 करोड़ में से मां को 35.92 लाख रुपये देने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि मृतक के बेटे और पत्नी के समान मां भी एक तिहाई हिस्सा प्राप्त करने की अधिकारी है।
जानिए याचिकाकर्ता ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वकील संपति शर्मा ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायालय याचिकाकर्ता की ओर से साल, 2021 में प्रार्थना पत्र को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए बिना नामिनी घोषित संपतियों में ही मां को समान राशि प्राप्त करने का हकदार माना था।
निचली अदालत के आदेश को HC में दी गई चुनौती
इस आदेश को हेमलता शर्मा ने उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा कि उनके बेटे आनंद की एक करोड़ सात लाख रुपये की संपति में से उसका हिस्सा 35 लाख 92 हजार 412 रुपये दिलवाए जाए। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटे की संपति में मां का भी समान हक एवं अधिकार है।
न्यायालय ने कहा कि यदि बेटा बीमा कंपनियों में अपनी पत्नी को नामांकित करता है और बिना वसीयत लिखे उसका निधन हो जाता है तो मां प्रथम श्रेणी उत्तराधिकार होने के नाते उसमें हिस्सा लेने की हकदार है। हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के मुताबिक वसीयत लिखे बिना मरने वाले व्यक्ति की संपति उसके प्रथम श्रेणी कानूनी उत्तराधिकारी को देने का प्रविधान है। प्रथम श्रेणी उत्तराधिकारी में मां, पत्नी, बेटा व बेटी आते हैं।
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