कलयुगी बेटे की करतूत… चांदी के जेवरात के लिए नहीं होने दिया मां का अंतिम संस्कार; बोला- मुझे लाकर दो, फिर जलाओ
राजस्थान के कोटपुतली-बहरोड़ में एक कलयुगी बेटे ने चांदी के कड़ों के लिए अपनी मां का अंतिम संस्कार रोक दिया। वह चिता पर लेट गया और जेवरात देने की मांग करने लगा। ग्रामीणों और परिजनों के समझाने पर भी वह नहीं माना। दूसरे बेटे द्वारा चांदी के कड़े लाने के बाद ही अंतिम संस्कार हो पाया।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के कोटपुतली-बहरोड़ जिले में एक कलयुगी बेटे का दिल को झकझोरने वाला कारनामा सामने आया है। कलयुगी बेटे ने पैर में पहनने वाले चांदी के कड़ों व अन्य जेवरात के लिए अपनी मां का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया, वो मां की चिता पर ही लेट गया।
करीब दो घंटे तक ग्रामीणों व स्वजन के समझाने के बाद भी वह चिता से हटने को तैयार नहीं हुआ। चांदी के कड़े एवं अन्य जेवरात लेने के बाद ही बेटे ने अंतिम संस्कार की रस्म होने दी। यह पूरा मामला तीन कई का है लेकिन घटनाक्रम का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर गुरुवार को प्रसारित हुआ।
मां से अलग रहता था बेटा
वीडियो प्रसारित होने के बाद हर कोई ऐसे कलयुगी बेटे की आलोचना कर रहा है। अंतिम यात्रा के बाद स्वजन जैसे ही शव को चिता पर रखने की तैयारी की तो बेटा पहले ही चिता पर लेट गया। इस बात पर अड़ गया कि मृतक मां के पैरों में जो चांदी के मोटे कड़े एवं अन्य जेवरात थे, वह उसे दिए जाएं उसके बाद ही वह संस्कार करने देगा।
अगर उसे चांदी के कड़े नहीं दिए जाते हैं तो खुद चिता पर ही लेटा रहेगा, मां का अंतिम संस्कार नहीं करने देगा। तब स्वजन ने दूसरे बेटे के पास से चांदी के कड़े मोक्षधाम में ही लाकर उसे दिए, उसके बाद अंतिम संस्कार की रस्म हो सकी।
जानकारी के अनुसार मृतका भूरी देवी के सात बेटे थे, उनमें से छह उनके साथ रहते थे। एक बेटा ओमप्रकाश अलग गांव से दूर रहता था। भूरी देवी का निधन तीन मई को हुआ तो अंतिम संस्कार की क्रिया से पहले स्वजन ने उनके पांव में पहने हुए चांदी के कड़े और पैर की बिछिया उतारकर बड़े बेटे गिरधारी को सौंप दी थी। इन्हीं दोनों चीजों के लिए ओमप्रकाश ने मोक्षधाम पहुंचकर चिता पर लेटकर हंगामा किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।