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    Jaipur: ओबीसी वोट बैंक को साधने में जुटी भाजपा, प्रमाण-पत्र नहीं बनने को लेकर गहलोत सरकार को घेरा

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Wed, 14 Jun 2023 09:24 PM (IST)

    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी ने कहा कि ओबीसी प्रमाण-पत्र नहीं बनने के कारण इस वर्ग के युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है।

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    राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने छह राज्यों का दौरा किया है।

    जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में करीब पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोट बैंक को साधने में जुटी है। भाजपा का आरोप है कि प्रदेश के सात जिलों में वर्तमान अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में ओबीसी के प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं। वहीं राज्य सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव समित शर्मा का कहना है कि जिन सात जिलों में प्रमाण-पत्र नहीं बनने की बात कही जा रही है, उनमें करीब पांच लाख प्रमाण-पत्र बने हैं।

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    केंद्र सरकार ने ओबीसी आयोग को दिया संवैधानिक दर्जा

    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह ने कहा कि ओबीसी प्रमाण-पत्र नहीं बनने के कारण इस वर्ग के युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर पूरे प्रदेश में ओबीसी के प्रमाण-पत्र बनाए जाएंगे। केंद्र सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है। वहीं गहलोत सरकार इस वर्ग के प्रमाण-पत्र नहीं बना रही है।

    ओबीसी के प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे

    भाजपा की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर ने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने छह राज्यों का दौरा किया है। जिनमें राजस्थान भी शामिल है। राजस्थान को लेकर आयोग की रिपोर्ट है कि सात जिलों में ओबीसी के प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे है। जिससे इन जिलों के युवाओं को सरकारी नौकरी के साथ मिलने वाली अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।

    गुर्जर ने कहा कि प्रदेश में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तोड़गढ़, राजसमंद, उदयपुर और सिरोही जिलों में ओबीसी के प्रमाण-पत्र करीब चार साल से नहीं बन रहे हैं। इन जिलों में केवल आदिवासी आरक्षण ही दिया जाता है। यहां ओबीसी आरक्षण का प्रावधान नहीं है। लेकिन इन जिलों में 67 लाख ओबीसी की आबादी है और 40 लाख अन्य जातियों की है। ऐसे में इन जिलों में भी ओबीसी के प्रमाण-पत्र बनने चाहिए।