'आप चैन से सो पाते हैं क्योंकि सेना तैनात है', कर्नल बाठ केस में पंजाब पुलिस पर क्यों झल्लाया सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस के अधिकारियों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए सेना के सम्मान की बात कही। यह याचिका कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे के साथ पटियाला के एक ढाबे पर पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई मारपीट की सीबीआई जांच के खिलाफ थी। कोर्ट ने अराजकता को अस्वीकार्य बताते हुए अपील खारिज कर दी।

जागरण टीम, पटियाला। आप अपने घर में चैन की नींद सोते हैं, क्योंकि माइनस 40 डिग्री तापमान में भी सीमा पर सेना तैनात है। जब युद्ध चल रहा होता है, तब वे आपकी रक्षा करने जाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज में लिपटकर वापस आते हैं। उस समय आप इन सेना के अधिकारियों की महिमा गाते हैं। सेना के लोगों का कुछ सम्मान कीजिए।
यह टिप्पणी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय कुमार और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पंजाब पुलिस के अधिकारियों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए की।
13 अप्रैल को ढाबे पर हुई थी मारपीट
यह याचिका कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे से 13 अप्रैल की रात को पटियाला के एक ढ़ाबे पर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से की गई मारपीट की जांच सीबीआई को सौंपने के पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि हम इस अपील को भारी जुर्माने के साथ खारिज करते हैं। इस तरह की अराजकता स्वीकार्य नहीं है।
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HC ने कहा था आरोपितों को बचा रही चंडीगढ़ की SIT
16 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ पर हमले की जांच का जिम्मा चंडीगढ़ पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था।
जस्टिस राजेश भारद्वाज की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश चंडीगढ़ पुलिस द्वारा की जा रही जांच में लगातार लापरवाही व निष्क्रियता को देखते हुए दिया था।
कोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था तीन महीने से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी किसी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं की गई।
इससे यह संदेश जाता है कि पुलिस आरोपितों को बचा रही है। बता दें कि इस मामले की पहले जांच पंजाब पुलिस की एसआइटी को सौंपी गई थी लेकिन जांच में देरी के बाद इसे चंडीगढ़ पुलिस की एसआइटी को सौंपी गई थी।
सभी छह आरोपितों की सेवा में तीन साल की कटौती
विभागीय जांच के बाद केस में नामजद चार इंस्पेक्टरों और दो कर्मचारियों की तीन साल की सेवा अवधि में कटौती की गई है। इनमें इंस्पेक्टर हैरी बोपाराय, रौनी सिंह, हरजिंदर सिंह ढिल्लो व शमिंदर सिंह के अलावा पुलिस कर्मचारी राजवीर और सुरजीत सिंह शामिल हैं।
आदेश के अनुसार सेवा अवधि में कटौती के दौरान न तो पदोन्नति होगी और न भत्ता या अतिरिक्त वेतन दिया जाएगा। इस दौरान पुलिस कर्मचारी निलंबित रहेंगे और उनकी पोस्टिंग पटियाला जिले से बाहर होगी। इस मामले में चार इंस्पेक्टरों समेत 12 पुलिस कर्मियों को पहले निलंबित कर दिया था। बाद में छह को बरी कर दिया गया था।
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